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सप्टेम्बर - २०१८
प्रतिष्ठान उपर हुमलो करी भारे नुकसान पहोंचाड्युं हतुं ते प्रसंगे करेल विरोध अने आ समस्या उद्भववा पाछळनां कारणोना करेल विश्लेषणमां जोवा मळे छे. आ सन्दर्भे तेमणे नोंध्युं छे के आ हुमला पाछळ वीरपूजक मानस जवाबदार छे. आवां कृत्योथी आपणी सम्पत्तिने ज नुकसान थाय छे. वस्तुतः आवां अणछाजतां लखाणोनुं खण्डन करतां प्रमाणभूत अने अधिकृत लखाणो तैयार करीने तेनो फेलावो करी तेमना मलिन आशयने उघाडो करवो जोईए. अन्यथा आपणा तोडफोडवाळा व्यवहारो आपणे जे नरवीरनी पूजा करीए छीए ए नरवीर पण आमना जेवा ज हशे एम मानवा प्रेरशे. वधुमां, आ घटना सन्दर्भे K. R. N. Swamy ए ता. १ फेब्रुआरी, र००४ना 'Deccan Herald'मां रिपोर्टिग करतां ब्रिटिश लाइब्रेरीमां संगृहीत भारतीय हस्तप्रतो तरफ ईशारो करतां विधान करेल के 'Thank God it is not in India'. अर्थात् आ हस्तप्रतो भारतमां होत तो तेनी दशा पण आम ज थात ! आ विधानमा रहेल अंगेजो अने अंग्रेजियतनी मानसिक गुलामी जोईने आचार्यश्रीए प्रश्न को छे के अमेरिकन अने ब्रिटिश दळोए ईराकनी सांस्कृतिक सम्पदानो नाश कर्यो, अंग्रेजो भारतमाथी हस्तप्रतो अने सांस्कृतिक सम्पदा लई गया वगेरेने तमे शुं कहेशो ? ३. विहंगावलोकन
सामयिक साहित्यना विश्वमा भाग्ये ज कोई सामयिक हशे के जेना प्रत्येक अङ्कनुं नियमित रीते अवलोकन प्रसिद्ध थयुं होय अने तेना प्रत्येक अङ्कनी सघळी सामग्रीगें कोई एक व्यक्ति द्वारा वांचन करवामां आव्यु होय, सिवाय के सम्पादक अने प्रूफवाचक द्वारा. आ दृष्टिए 'अनुसन्धान' एक अपवादस्वरूप सामयिक छे के जेमां समाविष्ट प्रायः सघळी सामग्रीनुं अस्खलित रीते मर्मग्राही अवलोकन करवामां आवी रह्यं छे अने ते पण एक ज समीक्षक द्वारा. आ सामयिकना वर्ष १९९३ थी ऑगस्ट, २०१८ सुधी कुल ७४ अङ्को प्रगट थया छे. आ अङ्को पैकी अङ्क नं. १४ थी ७३मा अङ्क सुधीनुं अवलोकन उपाध्याय भुवनचन्द्रजी महाराज द्वारा करवामां आवतां तेनुं प्रकाशन आ ज सामयिकना परवर्ती अङ्कोमा करवामां आव्युं छे. महाराजश्रीनुं प्रत्येक अवलोकन तेमनां स्वाध्यायनिष्ठा, व्यापक वांचन, जैनविद्याविषयक आधिकारिक