Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 134
________________ १२२ अनुसन्धान-७५(१) सौराष्ट्रमां जैन धर्मना मूळ प्राचीन समयथी होवा छतां तेनो विशेष प्रचार-प्रसार क्षत्रप-मैत्रक समय दरम्यान थयो छे. तो, सोलंकी समय तेनो सुवर्ण समय छे. आ समय दरम्यान आचार्य हेमचन्द्रसूरिना कारणे ते विशेष फूल्योफाल्यो. आ बधा समय दरम्यान प्रभास पाटण पण जैन धर्मनुं ओक विशिष्ट तीर्थस्थान रह्यानुं प्राचीन-मध्यकालीन जैन साहित्यिक-धार्मिक-पुरातत्त्वीय पुरावाओना आधारे कही शकाय. अलबत्त उत्तर मध्यकाळथी तेनुं महत्त्व क्रमशः ओर्छ थतुं गयुं के सीमित थतुं गयुं ओम कहीओ तो अन-उपयुक्त नहि लागे. सन्दर्भ १. शास्त्री के.का., 'श्री सोमनाथ : सोमेश्वर' पृ. ३०, अमदावाद, ई.स. २००० २. ध्रुव आनन्दशंकर बा., 'धर्मवर्णन', पृ. १०३, वडोदरा ई.स. १९७८, त्रीजी आवृत्तिनुं द्वितीय पुनर्मुद्रण. ३. देसाई शंभुप्रसाद, 'प्रभास अने सोमनाथ', पृ. ५०८-९, प्रभासपाटण, ई.स. १९६५, प्रथम आवृत्ति. ४. ढांकी मधुसूदन, 'निर्ग्रन्थ औतिहासिक लेख समुच्चय', भाग-२, पृ. २०२, अमदावाद, ई.स. २००२ ५. डो. शास्त्री हरिप्रसाद गं., 'मैत्रककालीन गुजरात', भाग-२, पृ. ४२२; अमदावाद, ई.स. १९५५ ६. क्रम-३, पृ. ५११ ७. (१) कोठारी, जयन्त (सं.), मध्यकालीन गुजराती जैन साहित्य', पृ. ६, कान्तिभाई शाह, मुंबई, ई.स. १९९३. (२) शास्त्री के.का., 'आपणा कविओ', पृ. २९९, अमदावाद, ई.स. १९७८, बीजी आवृत्ति. (३) कोठारी, जयन्त, 'मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां जैनोनुं प्रदान', पृ. ६, अमदावाद, ई.स. १९८५ ८. शास्त्री के.का., 'आपणा कविओ', पृ. ४५-४६, अमदावाद, खण्ड-१, रासयुग, ई.स. १९७८, बीजी आवृत्ति. ९. मूळ (सं.) मोहनलाल द. देसाई; संवर्धित बीजी आवृत्तिना सम्पादक - कोठारी, जयन्त, 'जैन गुर्जर कविओ', भाग-१, पृ. ७२, मुंबई, ई.स. १९८६ १०. अजन, भाग-२, पृ. ३१३, मुंबई, ई.स. १९८७ ११. अजन, भाग-१, पृ. ९८ १२. अजन, भाग-३, पृ. १३५, मुंबई, ई.स. १९८७

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