Book Title: Anusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 218
________________ २०६ अनुसन्धान-७५(१) माहिती नवां प्रकाशनो १. रागोपनिषद् विविध साधु-कविओओ रचेल 'रागमालाओ'नो संचय : सं. आ. तीर्थभद्रसूरिजी, प्रका. श्रीकनकसूरि प्राचीन ग्रंथमाला, ध्रांगध्रा, सं. २०७४. ___ मध्यकालना विविध जैन कविओओ भारतीय शास्त्रीय संगीतना विविध रागोने केन्द्रमा राखीने जिनभक्तिपरक गेय गुर्जर के मारुगुर्जर रचनाओ करी छे. तेवी आशरे २० करतां अधिक रागमालाओनो सचित्र संग्रह. असंख्य चित्रो तथा सुशोभनोथी विभूषित आर्ट पेपरमां मुद्रित दळदार - वजनदार ग्रन्थ. आमां शास्त्रीय रागोनां लक्षणो, वर्णनना दुहा, गीत तथा श्लोको वगेरे पण संगृहीत छे. रागमालानां प्रख्यात चित्रो तथा राग-परिचय वगेरे पण समावेल छे. २. बृहद् निर्ग्रन्थस्तुतिमणिमञ्जूषा : प्रथम खण्ड सं. मधुसूदन ढांकी, जितेन्द्र शाह. प्र. ला.द. विद्यामन्दिर, अमदावाद, ई. २०१७. ईसा पूर्व २०० थी ई. ९००ना कालखण्डमां रचायेलां जैन स्तोत्रोनो एक अनुपम अने ऐतिहासिक संचय. भाषा प्राकृत-संस्कृत-अपभ्रंश. विस्तृत भूमिकालेख तथा बे सुन्दर प्रस्तावना-लेखो वडे अलङ्कृत ग्रन्थ. सद्गत ढांकीसाहेबना जीवननां केटलांक श्रेष्ठ सम्पादनो-सर्जनो पैकी एक, मात्र डॉ. ढांकी ज करी शके तेवू सम्पादन. आनुं प्रकाशन जोईने जवानी ढांकीजीनी तीव्र झंखना रहेती. परन्तु तेमनी ते इच्छा सफल न थई - एनो वसवसो तेओ छेक सुधी करता रहेला. आ ग्रन्थना बीजा खण्डो केटला होय ते समजायुं नथी, केम के प्रकाशके ते विषे कोई स्पष्टता आपी नथी. परन्तु बाकीना जे पण खण्ड होय ते सत्वरे प्रगट थाय तेनी राह विद्वज्जगतने रहेवानी.

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