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सप्टेम्बर
नोंध ।
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२०१८
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परिशिष्ट १४ : चूर्णि में निर्दिष्ट अन्य मतों के उल्लेखों की नोंध । परिशिष्ट १५ : लघुभाष्य में व चूर्णि में 'निक्षेप' के विषयभूत शब्दों की
परिशिष्ट १६ : लघुभाष्य में व चूर्णि में आते निरुक्त शब्द व निरुक्तियाँ । परिशिष्ट १७ : चूर्णि में आते एकार्थक शब्दों की सूचि ।
परिशिष्ट १८ : वाचनाचार्य चन्द्रकीर्तिगणि के ग्रन्थ 'नि:शेषसिद्धान्तविचारपर्याय' में कल्पभाष्य एवं चूर्णि के पीठिकांश को स्पर्श करते पर्यायों की स्थानदर्शक संकेतों के साथ सटिप्पण नोंध ।
परिशिष्ट १९ : सन्दर्भशब्दसूचि । इसमें लघुभाष्य में और चूर्णि में आनेवाले, विविध विषय के और चाभीरूप महत्त्वपूर्ण सैंकडो शब्दों की सुसंकलित सूचि दी है। इसकी मदद से वाचक आसानी से उस उस विषय के ग्रन्थसन्दर्भ तक पहुंच पाएगा ।
यह
है इस ग्रन्थ के परिशिष्टों का परिचय ।
कृतज्ञता ज्ञापन
यह ग्रन्थ श्रीतीर्थङ्करदेव वीर - वर्धमानस्वामी की आज्ञास्वरूप है, और हमारे श्रीसंघ के आदिपुरुष भगवान् श्रीसुधर्मास्वामी गणधर की पट्ट - परम्परा में हुए श्रुतकेवली श्रीभद्रबाहुस्वामी महाराज, श्रीसंघदासगणि क्षमाश्रमण भगवन्त, श्रीजिनदासगणि महत्तर एवं बृहद्भाष्य के अद्ययावत् हमसे अज्ञात रहनेवाले श्रुतधर महर्षि - इन सभी भगवन्तों की वाणीस्वरूप है । यदि इन महर्षिओं ने ऐसे भवजल-तारक ग्रन्थ न रचे होते तो प्रभु की मंगलकारिणी आज्ञा हम जैसे अबोध लोगों तक कैसे पहुंचती ? । अत: उन सभी महान् श्रुतपुरुषों के चरण-कमलों में हम वन्दन करते हैं और उनका ऋणस्वीकार करते हुए भावपूर्वक कृतज्ञता - ज्ञापन करते हैं ।
कल्पवृत्तिकार महर्षि भगवान् श्रीमलयगिरिजी महाराज एवं आचार्यदेव श्रीक्षेमकीर्तिसूरि महाराज इन दो महापुरुषों के श्रीसंघ के उपर उपकार अनन्य असामान्य है । उन्होंने यदि इस छेदसूत्र पर वृत्ति न रची होती और वृत्ति में
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