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अनुसन्धान-७५(१)
आ बधा ज दिवंगत महानुभावोनुं जैनधर्म-दर्शन अने साहित्य-संशोधन क्षेत्रे घणुं मोटुं प्रदान होवा उपरांत आ सामयिकरूपी ज्ञानयज्ञने चालु राखवा माटे तेमना बहुमूल्य लेखो मोकली आपी 'होता' तरीकेनी भूमिका अदा करवामां के अन्य रीते तेमनुं गौरववतुं प्रदान रह्यं छे. आ बधा व्यक्तिविशेषो माटे संस्मरणात्मक तेम ज तेमना प्रदानने मूलवता लेखो खास आमन्त्रणथी मेळवीने प्रकाशित करीने जैन विद्याजगत वती सम्पादक आचार्यश्री विजयशीलचन्द्र-सूरिजीए तेमनुं ऋण अदा कर्यु छे. आ पैकी पं. मालवणिया विशेषाङ्कमां मालवणियासाहेब विशे फक्त त्रण लेखो पैकी आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजीए तेमना निर्भीक अने उमदा व्यक्तित्वनां पासां उजागर कर्यां छे, ज्यारे जितेन्द्र शाहे मालवणियासाहेबनी साहित्योपासना अन्तर्गत विस्तृत वाङ्मयसूचि (पृ. २३४-२६४) आपी छे, जे ध्यानार्ह बनी रहे छे. आम छतां अहीं मालवणियासाहेबना प्रदानने मूलवता लेखोनो अभाव जोवा मळे छे. आ ज रीते मुनिराज जम्बूविजयजीने अर्पण करवामां आवेल अङ्क (५०.२)मां मुनिराज विशे स्मरणांजलिओ अने अन्यविषयक २० लेखो समाविष्ट छे. आ पैकी मुनिराज जम्बूविजयजी अकस्मातमां काळधर्म पाम्या ते समयनी सहयात्री शिष्या Hiroko Matsuokaनी डायरी (पृ. २४९-२५७) ऐतिहासिक धरोहर समान दस्तावेजी मूल्य धरावे छे. आ ज क्रममां डॉ. हरिवल्लभ भायाणीसाहेब अने डॉ. मधुसूदन ढांकी विशेषाङ्को तेमनी प्रतिभाने उजागर करता तथा संस्मरणात्मक लेखोथी समृद्ध छे. देश-विदेशना विद्वानोए उलट हैये आ बंने प्रतिभापुरुषो माटेना विशेषाङ्को माटे लेखो मोकली आप्या जे तेमना प्रति आस्थाना प्रतीतिकारक बनी रहे छे. कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य विशेषाङ्क, भाग १ अने २ (अङ्क नं. ५३ अने ५४) ए हेमचन्द्राचार्यनी आचार्यपद प्राप्तिना ९०० मा वर्षनी पुण्यस्मृतिना उपलक्ष्यमा प्रकाशित करवामां आवेल छे. आ बन्ने अङ्कोमां हेमचन्द्राचार्यना विविध विषयक प्रदानने मूलवता १४ लेखो तथा १५ अन्य विषयक लेखोनो समावेश करवामां आव्यो छे. आ साथे ज आचार्यश्रीए सम्पादकीय निवेदनमां हेमचन्द्राचार्यने संशोधनना पर्याय गणावीने 'त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित' (पर्व १०, सर्ग १२, श्लोक ७८-- ९५) ना आधारे नोंध्युं छे के भारतमां सौथी प्रथम पुरातात्त्विक उत्खनन राजा कुमारपाळे हेमचन्द्राचार्यना निर्देशथी सिन्धुदेशना वीतभयपत्तन नगरमां भगवान