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सप्टेम्बर - २०१८
नमूनाओना फोटोग्राफ्सने 'अनुसन्धान'ना आवरणपृष्ठ उपर स्थान आपवामां सम्पादक आचार्यश्रीनां कलादृष्टि, आ अणमोल वारसानो जिज्ञासुओने परिचय कराववानुं वलण अने तेना संरक्षण माटेनी निसबतनां दर्शन थाय छे. आ आवरणो उपर वैविध्यपूर्ण कलावारसो प्रदर्शित करवामां आव्यो छे. उदा. तरीके वि.सं. १२८४मां लखायेली 'सिद्धहेमशब्दानुशासन'नी ताडपत्रीय पोथीनां चित्रो (अङ्क-५४), १८मा शतकनुं राजस्थानी शैलीनुं चित्र 'नारी-अश्व पर सवार श्रीकृष्ण' (४८), वि.सं. १६०१ नुं लोकपुरुष, चित्रात्मक यन्त्र (४२), गिरनार उपर वस्तुपालनिर्मित जिनालयमां प्रशस्तिलेख (७२), १७मा शतकना काष्ठशिल्पकलामण्डित देरासरनी पद्मावतीदेवीनी काष्ठप्रतिमा, खम्भात (५०), उपाध्याय विनयविजयजीना हस्ताक्षर (६०), हेमचन्द्राचार्य अने राजर्षि कुमारपाळनी प्रतिमाओ, गिरनार (५३), १९मा शतकनी चित्रपृष्ठिका उपरनुं चित्र (५२), संघडियाजी तीर्थनी सं. १२२०नी सरस्वतीदेवीनी प्रतिमा (६६). वि.सं. १२५७मां निर्मित हेमचन्द्राचार्य (सं. ११४५-१२२९)नी प्रतिमा, धंधुका (५९) वगेरे. आ बधां चित्रो उपरांत स्मृतिअङ्कोनां आवरणपृष्ठो उपर मालवणियासाहेब, भायाणीसाहेब, मुनिराज जम्बूविजयजी, आचार्यश्री सूर्योदयसूरीश्वरजी वगेरेना फोटोग्राफ्स पण मुन्द्रित करवामां आव्या छे.
आ बधां आवरणचित्रो सम्बन्धी खास नोंधपात्र बाबत ए छे के आचार्यश्रीए आ कलावारसाना नमूनाओ मात्र मुद्रित करीने सन्तोष न मानतां प्रायः प्रत्येकनो ऐतिहासिक - सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यमा परिचय करावतां हालमां आ कृति क्यां उपलब्ध छे अने तेनो फोटो कोना द्वारा सुलभ थई शक्यो तेनी पण काळजीपूर्वक नोंध लीधी छे. आ सम्बन्धी एकाद-बे चित्रोनो उदाहरण तरीके परिचय जोईए : वि.सं. १२८४मां लखायेली 'सिद्धहेमशब्दानुशासन'नी ताडपत्रीय पोथी श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञानमन्दिर, पाटणमां संग्रहायेली छे. आ पोथीनां बे पानांनी उठांतरी थई गई छे. आ चित्रो आ पूर्वे कोई प्रख्यात जैन संस्थानी प्रदर्शनीमां प्रदर्शित करवामां आव्यां हतां. आ चित्रो तेना मूळ मालिकने (पाटणना ज्ञानमन्दिर) परत करवा प्रयास करवा छतां सफळता मळी नथी ते सन्दर्भे विगतवार नोंध कर्या बाद आचार्यश्रीए जणाव्युं छे के ‘एक ऐतिहासिक दस्तावेजनो तथा पुरातन पोथीनो नाश थवानी