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सप्टेम्बर - २०१८
जैन सोतनी रासनी कृतिओ : स्वरूप-सन्दर्भ
- डो. हसु याज्ञिक __ मध्यकालीन गुजराती साहित्यनी कथाश्रयी जाति, Narrative genre मां समाती कृतिओने आपणुं विवेचन, स्वरूप Formनी दृष्टिले मुख्य स्वरूपमां चर्चे छे : १. रास, २. आख्यान, ३. पद्यवार्ता अने ४. जैतिहासिक प्रबन्ध. Genre and Formनी दृष्टिले आ चारेय स्वरूपो अंगे क्यांक केटलीक विसंगति तो क्यांक केटलीक अतिव्याप्तिनो दोष छे, ते हवे स्पष्ट करवो जरूरी बने छे. क्यारेक तो जाति के प्रख्यात ओटले के Genre अने तद्जन्य अने संलग्न अवा स्वरूप अटले के Form वच्चेनो मुख्य भेद रहेतो नथी, क्यारेक तो ओक जातिना ज पेटा प्रकार तरीके ज जेने गणीने चालीओ, चालता आवीओ ओ पोते ज ओक जाति मांहेनी पेटाजाति होई शके छे. आq बन्युं छे जैनस्रोतनी रासप्रकारनी जातिमां, जेमां 'रास' पोते ज ओक जाति छे, ओवी जाति के प्रकार जेनां गानकथनरूप कृतिना माध्यम तरीके 'रासक अटले के जे मात्रामेळ छन्दना बन्धनने गानना स्वरूपमा ढाळवा माटे शिथिल करवामां आव्यो छे छन्दाधारित गान ढाळ. आ दृष्टिले तो 'आख्यान' पोते ज रास पण छे, मात्र जैनस्रोतनी कथाश्रयी कृतिओ ज नहीं. वळी, केटलीक मनोरंजक दुहा-चोपाई बन्धनी कृतिओ पण ओवी छे जेना मूळ दोहा, सोरठा, उलाला, हरिगीतादि पण गानढाळमां छे ते पण रास छे.
आवी विसंगतिना मूळमां मने शङ्का छे के क्यांक जाति Genreनी विभावना ज धूंधळी छे. आथी आरम्भमां ज ओना अंगे केटलीक स्पष्टता जोईओ. आपणी साहित्यमीमांसा, साहित्यशास्त्र के मूळ संस्कृत पर्याय 'काव्यमीमांसा' अटले के व्यापक अर्थमां कलामीमांसा, पाश्चात्य पर्याय प्रमाणे Poetics नो वर्गीकरणनो मुख्य आधार के सूत्र ओ रह्यं के बहुसंख्य ओवी कला-साहित्यनी कृतिओनुं प्रकारोमा विभाजन-वर्गीकरण करीओ. आम करवामां कला के मात्र साहित्यनी जे बहुसंख्य ओवी कृतिओ Works रचाई तेने कोई ओक मुख्य समानताने आधारे जुदी पाडीओ. आ रीते ज जे वर्गीकरण थयुं तेने 'जाति' संज्ञापर्याय अपायो. संगीतकलानुं दृष्टान्त लइओ तो अमां कई रचनाओमां कुल सात (कोमळ-तीव्र उमेरता कुल बार नाद ध्वनिओनो अकम Scale) स्वरोमांथी