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जीवन - पथ
यह भी कोई जीवन है कि मरियल कुत्ते की तरह हरदम दुम दबाए, दुबके-से, डरे-से, फिरते रहें। गलत बात के आगे सिर झुकाना, दुर्बलता का चिन्ह है। भयभीत मनुष्य जीवन की लड़ाई नहीं लड़ सकता। वह दब्बू हर हालत में दूसरों को खुश करने में लगा रहेगा, और हर किसी के आगे आत्म-समर्पण करता-करता एक दिन चल बसेगा।
और यह भी क्या जीवन कि भूखे भेड़िये की तरह हर दम गुर्राते रहें। न मिलने में रस और न बिछड़ने में। जीवन के चारों ओर आग ही आग बरसती रहे। पानी की एक बूंद भी न मिले। पत्थर की तरह कठोर होना ठीक नहीं है। जीवन में प्रेम की लचक भी होनी चाहिए। कठोरता और मृदुता ही जीवन है ।
जीवन का लक्ष्य
मानव-जीवन केवल संग्रह करने के लिए नहीं है, अपितु संग्रह के साथ उसका उचित रूप से वितरण करने के लिए है।
सफलता का मूल - मन्त्र आपका काम नीरस, असफल, अभद्र तथा अधूरा क्यों रहता है, क्या कभी इस प्रश्न पर विचार किया है ? नहीं किया हो तो अब कर लीजिए। आपका हर काम इसलिए अभद्र तथा अधूरा रहता है कि आप उसमें विश्वास, प्रेम और बुद्धिमत्ता का यथोचित मात्रा में उपयोग नहीं करते ! ये तीन गुण हैं, जो समस्त सद्गुणों, वैभवों, सफलताओं और ऐश्वर्यों के एकमात्र मूल कारण हैं।
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अमर वाणी
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