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ब्रह्म है।
जे आया से विन्नाया, जे विन्नाया से आया ।
जो आत्मा है, वही विज्ञाता है । और, जो विज्ञाता
भगवान् महावीर
है, वही आत्मा है ।
विज्ञानं ब्रह्म
विज्ञान अर्थात् ज्ञान स्वरूप विशुद्ध आत्म - ज्योति ही
वेदान्त
स्व पर विवेको हि दर्शनम्
·
स्व और पर का विवेक - बोध ही दर्शन है ।
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चिदचिद् भेदविज्ञानं हि दर्शनम्
• जड़ और चेतन का भेद - विज्ञान ही दर्शन है ।
- उपाध्याय अमरमुनि
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अमर वाणी र वा
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