Book Title: Amar Vani
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 183
________________ क्या करता है ? मानवी माता थोड़े दिन दूध पिलाकर माता बनती है और फिर जीवन-भर सेवा कराने का अधिकार प्राप्त कर लेती है । परन्तु, गाय जीवन-भर दूध पिलाती है । जरा सोचिए तो, गौ माता को अपने मानव-पुत्र से कितनी सेवा लेने का अधिकार है ? इस प्रश्न का सही उत्तर मानव-जाति को आज या कल देना ही होगा । मयूर से कुछ सीखना है ? यदि कि लोग उसकी सुरूपता को देखते हैं, कुरूपता को देखता है । चींटियों से भी सीखिए चींटियों से मिलकर चलने की शिक्षा लो। देखो, किस प्रकार एक पंक्ति में संगठित अपनी मंजिल की ओर रेंग रही हैं ? चुपचाप बिना शोर मचाए शान्ति के साथ यात्रा तय हो रही है ? मयूर से भी सीखिए सीखना हो, तो यह सीखो और वह अपने पैरों की जब आपकी छड़ी आपके हाथ में होती है, तो उपदेश करती है | क्या ? यही कि मैं बेजान होकर भी तुम को बल देती हूँ, सहारा देती हूँ | और तुम जानदार होकर भी कभी दुर्बलों को बल एवं सहारा देते हो, या नहीं ? मनुष्य को आस-पास के वातावरण में गुलाब बन कर रहना चाहिए । यह जीवन खिला हुआ गुलाब हो, जिसके प्रत्येक आचार और विचार से दिल और दिमाग को तर करने वाली एक मीठी, महक निकलती रहे ! १५८ Jain Education International For Private & Personal Use Only पचर - वाणी www.jainelibrary.org

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