Book Title: Amar Vani
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 184
________________ आकाश में घटाएँ घुमड़ रही हों, वर्षा हो रही हो और शीतल, मन्द, सुगंधित पवन चल रही हो, तब मोर खुशी में आकर नाचता है, बोलता है। सबकी खुशी में ही उसकी खुशी है । जहाँ घटाओं को देख कर हजारों किसानों के दिल उछलने लगते हैं, वहाँ मोर का मन भी उछल पड़ता है। क्या कभी आप भी इसी प्रकार दूसरों की खुशी में खुश हुए हैं, नाचे हैं, और बोले हैं। घड़ी से भी सीखिए आपकी घड़ी ठीक टाइम नहीं देती, तो क्या आप उसे सुधरवाने की चिन्ता नहीं करते ? अवश्य करते हैं । इसी प्रकार यदि आपका मस्तिष्क ठीक तरह नहीं सोचता-विचारता, तो क्या यह चिन्ता की बात नहीं है ? अप्रामाणिकता चाहे घड़ी की हो, किसी साथी की हो, या स्वयं अपने मस्तिष्क की ही हो, वह तत्काल सुधार चाहती है। - शरीर का अन्त हाथी क्या कर रहा है ? अपने सूड में धूल भरता है और सिर पर डाल लेता है। क्या भाव है इसका ? अपने शरीर को कितना ही पालो, पोसो, सजाओ, मोटा - ताजा बनाओ, आखिर मिलना है इसे मिट्टी में ही ! इनसे भी सीखिए ! : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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