Book Title: Amar Vani
Author(s): Amarmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 163
________________ संघ संघ आकाश के सघन बादलों से धरती पर उतरने वाली अकेली बूद हवा में सूख जाती है या मिट्टी में मिलकर विलीन हो जाती है। न वह स्वयं बह सकती है और न किसी दूसरे को ही बहा सकती है। बहने और बहाने की शक्ति एकमात्र जल-प्रवाह में है, जो एक के पीछे एक लगे रहने वाली कोटि - कोटि बून्दों का संघ है। कोई भी विचारक इस पर से निर्णय कर सकता है कि शक्ति का केन्द्र व्यक्ति नहीं, संघ है । हजारों मील के लम्बे-चौड़े रेतीले मैदान में एक ही वृक्ष हो, उसकी एक ही शाखा हो, शाखा पर एक ही पत्ता हो, तो कैसा लगेगा ? सर्वथा अभद्र ! और हजारों प्रकार के वृक्षों का एक उपवन हो, प्रत्येक वृक्ष हरा - भरा और फला - फूला हो, तो कैसा लगेगा ? सर्वथा सुन्दर ! कोई भी विचारक इस पर से निर्णय कर सकता है कि सौन्दर्य का केन्द्र व्यक्ति नहीं, संघ है। प्रकाश से प्रकाश मिलता है ज्योतिर्मय बनना है, तो किसी ज्योतिर्मय की शरण लो, उसकी १३८ अमर - वाणी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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