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वितरण कर सकते हैं । नेता के भाग्य में विष पान ही लिखा है । जो नेता अमृत पीने वाले हैं, उनकी जनता विष पान करती है और जो विष पीने वाले हैं, उनकी जनता अमृत पान करती है । समुद्रमंथन के समय यदि शिवजी विष-पान न कर लेते, तो देवताओं को अमृत पान किसी भी तरह न प्राप्त होता । विष के बाद ही अमृत का नम्बर है |
स्वतन्त्रता
स्वतन्त्रता वह अनोखी और अनूठी वस्तु है, जो भूखों मरने की दशा में भी आनन्द देती है, हृदय के कण-कण को गुदगुदा देती है। पक्षी पिंजरे में सुरक्षित है, आहार आदि के लिए निश्चित है, फिर भी क्यों उन्मन है, उदास है ? इसलिए कि वह आखिर, है तो परतन्त्र ही । वह स्वच्छन्द अनन्त आकाश में उड़ जाना चाहता है; फिर भले ही भूखा रहे तो क्या, प्यासा रहे तो क्या, और किसी जालिम के हाथों मारा भी जाए तो क्या ? मैं जब स्वतन्त्र भारतीयों को अपनी अपनी दाल - रोटी के अधिकार के लिए पुकार मचाता देखता हूँ, तो मुझे ऐसा लगता है, जैसे इनकी नजरों में दाल - रोटी का तो कुछ मूल्य है, किन्तु स्वतन्त्रता का कुछ भी मूल्य नहीं । स्वतन्त्र रह कर भूखा मर जाना सिंहत्व है, और परतन्त्र रहकर नित नए मोहनभोग उड़ाना गीदड़पन है ।
ज्येष्ठ और श्रेष्ठ
ज्येष्ठ और श्रेष्ठ में कौन महत्वपूर्ण है ? ज्येष्ठ का अर्थ बड़ा होता है और श्रेष्ठ का अर्थ अच्छा । कुछ लोग कहते हैं कि हम धन में बड़े हैं । मैं कहता हूँ-धन में बड़े हो, परन्तु धन में श्रेष्ठ भी हो या नहीं ? जब धन का उपयोग परोपकार के लिए होता है, तत्र उसमें श्रेष्ठत्व आता है । कुछ लोग कहते हैं - हम बुद्धि में बड़े
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बिखरे मोती :
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