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किया गया तो ? भला आज तक कोई छेदों से जर्जर हुई नाव पर बैठकर पार पहुँच सका है ? हाँ, तो जीवन की नाव में जितने भी क्रोध, मद, लोभ आदि के छिद्र हैं, सबको बंद कर दो और फिर आनन्द से संसार - सागर से पार हो जाओ !
काम,
आत्म - सुधार
प्रिय बन्धुओ ! यदि तुम अपनी पत्नी को सीता के रूप में देखना चाहते हो, तो पहले तुम राम बन जाओ ! सीता, राम के घर में रह सकती है, रावण के घर में नहीं । और, मेरी प्यारी बहिनो ! यदि तुम अपने पति को राम देखना चाहती हो, तो तुम पहले सीता बन जाओ ! राम, सीता के ही पति हो सकते हैं, अन्य किसी निम्न नारी के नहीं ।
नींव की ईंट
भयभीत मनुष्य में
भय मनुष्य की सबसे बड़ी दुर्बलता है । गीदड़ की आत्मा निवास करती है, जो कुछ दिन इधर उधर लुकी छिपी भटक कर मर जाने के लिए है, काम करने के लिए नहीं । जब तक मनुष्य में भय रहता है, वह सत्य के पथ पर नहीं चल सकता है । न उसमें नैतिकता हो सकती है, न धर्म, न समाज का हित और न राष्ट्र का प्रेम । निर्भयता और साहस ही मनुष्य के चरित्र - बल के महल की पहली नींव की ईंट है ।
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बचन के रोग
ज्वर, श्वास, खाँसी, दुर्बलता, क्षय, बात और शूल आदि
शरीर के रोग हैं ।
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अमर वाणी
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