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अधिक बोलना, असमय में बोलना, असत्य भाषण, कटुभाषण, चुभती बात और रागद्वेष-वर्द्धक वचन इत्यादि मन के रोग हैं।
जहाँ राग है, वहाँ द्वष भी है
राग और द्वेष जुड़वाँ भाई हैं । जहाँ एक है, वहाँ दूसरा अवश्य है। किसी से राग है, तो उसके विपरीत किसी से द्वोष भी है । और, यदि किसी से द्वेष है,तो उसके विपरीत किसी से राग भी है । वीतराग पद पाने के लिए दोनों से ही मुक्त होना आवश्यक है।
हर्ष और शोक
जब तक हर्ष और शोक की तरंगें तुम्हारे मन के सागर में उठ रही हैं, तब तक अपने को बन्धन में समझो ! ज्ञानी का ऊँचा दर्जा पाने में अभी देर है।
अहंकार
अधिकार का एक कुख्यात साथी है, जिसका नाम अहंकार है। यही कारण है कि अधिकार पाते ही मनुष्य अपने को असाधारण तथा दूसरों से भिन्न समझने लगता है, अधिकार के मद में झूमने लगता है । धन्य हैं वे, जिनके पास अधिकार है, परन्तु अधिकार का सह-यात्री अहंकार नहीं है । अधिकार विनय एवं नम्रता का स्पर्श पाकर ही चमकता है, और तभी वह जन-कल्याण करता है।
बुराई के प्रति जागरूकता बुराई, बुराई है, वह छोटी क्या और बड़ी क्या ? बुराई छोटी है, नगण्य है, अतः उपेक्षणीय है--साधक के लिए यह आदर्श ही गलत है । कभी-कभी बुराई बिल्कुल छोटे-से, सूक्ष्म-से बीज के रूप
चरित्र - विकास के मूल तत्त्व :
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