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अधार्मिक है। धर्म और अधर्म का मूल स्वरूप बाहर की स्थूल धर्म - परम्पराओं में नहीं मिलता । वह मिलता है, मानव के अन्तः करण के अन्धकार और प्रकाश में । अन्दर में जागरण है, तो धर्म है, और यदि अन्दर का देवता सोया पड़ा है, तो अधर्म है।
धर्म और प्रलोभन जो धर्म एक ओर नरक का डर दिखाता है एवं दूसरी ओर स्वर्ग का लालच बताता है, वह धर्म क्या खाक जनता का कल्याण करेगा ? सच्चा धर्म सत्य के अमर स्वर का गायक होता है, डराने और ललचाने वाला नहीं।
सत्य और सम्प्रदाय
वह सत्य ही क्या, जो किसी एक व्यक्ति या सम्प्रदाय की सीमा में घिर कर रह जाए ! सत्य अनन्त है, अत: वह सीमित मान्यताओं एवं क्रिया-काण्डों में सीमित नहीं हो सकता।
सब से बड़ा धर्म
संसार का सबसे बड़ा धर्म कौन है ? जो मनुष्य को 'स्व'अपने में सन्तुष्ट रहना सिखाए और 'पर' में उलझने से बचाए, वही सबसे बड़ा धर्म है।
एक म्यान में एक तलवार
राम और रावण एक सिंहासन पर कैसे बैठ सकते हैं ? नहीं बैठ सकते हैं न ? तब फिर मन के सिंहासन पर भगवान् और शैतान की एक तरह से प्रतिष्ठा कैसे की जा सकती है ? या तो अपने मन में भगवान् को जगह दो, या फिर शैतान को। दोनों में से एक को विदा करना ही होगा। शैतान के रहते भगवान् कैसे
धर्म:
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