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अतः कोमलता को ठसाठस भरने की अपेक्षा नहीं होती, हल्केपन की आवश्यकता होती है।
त्याग को ऊँचाई
त्याग, आत्मा की वह ऊँचाई है, जहाँ शरीर और इन्द्रियों की आवाज नहीं पहुँच सकती। और, मन की आवाज भी वहाँ सुनाई नहीं दे सकती। आत्मा के गंभीर नाद में और सब ध्वनियाँ क्षीण हो जाती हैं।
अपनी दुर्बलता दूर कीजिए
आप का पतन आप की दुर्वलता में है, और आप का उत्थान आप की सबलता में है। आप अपनी आन्तरिक दुर्बलताओं को जितना ही दूर करेंगे, उतने ही मानवता के विकास-पथ पर अग्रसर होते जाएँगे।
प्रलोभन
जब मनुष्य का प्रकाशपूर्ण हृदय प्रलोभन के अन्धकार से आच्छादित होने लगता है, तो वह धर्म-अधर्म, कर्तव्य-अकर्तव्य के विचार से सर्वथा शून्य हो जाता है । जीवन-पथ में काँटे मिलें, तो कोई बात नहीं, परन्तु चिन्ता है फूलों के बिछे होने की।
सच्चा त्याग
त्याग का अर्थ किसी वस्तु को छोड़ देना मात्र नहीं है । त्याग का सच्चा अर्थ है, वस्तु को हाथ से छोड़ देने के साथ - साथ मन से भी छोड़ देना।
चरित्र-विकास के मूल तत्व :
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