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अन्तर्दर्शन
तू सर्वशक्तिमान् है !
महावीर, बुद्ध, राम, कृष्ण, ईसा और मोहम्मद जितने भी संसार के महापुरुष हैं, उन सब की शक्तियाँ तुझ में भी हैं । स्थिर चित्त से एकाग्र होकर विचार ले, तुझे क्या बनना है ? फिर तू जो चाहेगा, वही बन जाएगा।
परदा हटाओ
व्यक्तिगत लोभ, मोह और स्वार्थ ही मनुष्य की पवित्र ज्ञानचेतना पर परदा है, जो उसे अंधा बना देता है, पथभ्रष्ट कर देता है, हिताहित का यथार्थ निर्णय नहीं होने देता। बुद्धि पर से स्वार्थ का परदा हटाओ, सत्य का उज्ज्वल प्रकाश जगमगाने लगेगा। सत्य के प्रकाश में जो भी निर्णय होगा, वह सर्वोदय की दृष्टि से होगा, फलतः सब के लिए मंगलमय होगा।
अन्तर की चिनगारी
मनुष्य ! तेरे अन्दर ज्ञान-दीपक जल रहा है । तू केवल उसके ऊपर से अज्ञान की चपली हटा दे। चिनगारी जल रही है, ऊपर आई झाई को हटाने के लिए साधना की जोर से फूंक मार ।
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अमर - वाणी
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