Book Title: Agam 43 Uttaradhyayan Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 16
________________ आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, 'उत्तराध्ययन' अध्ययन/सूत्रांक स्पर्श परेशान करते हैं । किन्तु भिक्षु उन पर मन से भी द्वेष न करे । सूत्र - १२७ अनुकूल स्पर्श बहुत लुभावने होते हैं । किन्तु साधक तथाप्रकार के विषयों में मन को न लगाए । क्रोध से अपने को बचाए रखे । मान को दूर करे । माया का सेवन न करे । लोभ को त्यागे । सूत्र-१२८ जो व्यक्ति संस्कारहीन, तुच्छ और परप्रवादी हैं, जो राग और द्वेष में फंसे हुए हैं, वासनाओं के दास हैं, वे 'धर्म रहित हैं -ऐसा जानकर साधक उनसे दूर रहे । शरीर-भेद के अन्तिम क्षणों तक सद्गुणों की आराधना करे। -ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन-४ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 16

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