Book Title: Agam 43 Uttaradhyayan Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 109
________________ आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, ‘उत्तराध्ययन' अध्ययन/सूत्रांक शुद्ध होता है। ध्यान-समाधि से सम्पन्न होता है । आयुष्य के क्षय होने पर मोक्ष को प्राप्त होता है। सूत्र-१३५६ जो जीव को सदैव बाधा देते रहते हैं, उन समस्त दुःखों से तथा दीर्घकालीन कर्मों से मुक्त होता है । तब वह प्रशस्त, अत्यन्त सुखी तथा कृतार्थ होता है। सूत्र-१३५७ अनादि काल से उत्पन्न होते आए सर्व दुःखों से मुक्ति का यह मार्ग बताया है । उसे सम्यक् प्रकार से स्वीकार कर जीव क्रमशः अत्यन्त सुखी होते हैं । -ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन-३२ का मुनि दीपरत्नसागर कृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद" Page 109

Loading...

Page Navigation
1 ... 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129