Book Title: Agam 43 Uttaradhyayan Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ४३, मूलसूत्र-४, ‘उत्तराध्ययन'
अध्ययन/सूत्रांक सूत्र-१२०८-१२०९
दिवस के चार प्रहर होते हैं । उन चार प्रहरों में भिक्षा का जो नियत समय है, तदनुसार भिक्षा के लिए जाना, यह काल से 'ऊणोदरी' तप है । अथवा कुछ भागन्यून तृतीय प्रहर में भिक्षा की एषणा करना, काल की अपेक्षा से 'ऊणोदरी' तप है। सूत्र- १२१०-१२११
स्त्री अथवा पुरुष, अलंकृत अथवा अनलंकृत, विशिष्ट आयु और अमुक वर्ण के वस्त्र-अथवा अमुक विशिष्ट वर्ण एवं भाव से युक्त दाता से ही भिक्षा ग्रहण करना, अन्यथा नहीं-इस प्रकार की चर्या वाले मुनि को भाव से ऊणोदरी' तप है। सूत्र-१२१२
द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव में जो-जो पर्याय कथन किये हैं, उन सबसे ऊणोदरी तप करने वाला 'पर्यवचरक' होता है। सूत्र-१२१३
आठ प्रकार के गोचराग्र, सप्तविध एषणाएँ और अन्य अनेक प्रकार के अभिग्रह-भिक्षाचर्या' तप है। सूत्र-१२१४
दूध, दही, घी आदि प्रणीत (पौष्टिक) पान, भोजन तथा रसों का त्याग, ‘रसपरित्याग' तप है। सूत्र- १२१५
आत्मा को सुखावह अर्थात् सुखकर वीरासनादि उग्र आसनों का अभ्यास, 'कायक्लेश' तप है। सूत्र-१२१६
एकान्त, अनापात तथा स्त्री-पशु आदि रहित शयन एवं आसन ग्रहण करना, विविक्तशयनासन' तप है। सूत्र-१२१७-१२१८
संक्षेप में यह बाह्य तप का व्याख्यान है । अब क्रमशः आभ्यन्तर तप का निरूपण करूँगा । प्रायश्चित्त, विनय, वैयावृत्य, स्वाध्याय, ध्यान और व्युत्सर्ग-यह आभ्यन्तर तप हैं। सूत्र-१२१९
आलोचनार्ह आदि दस प्रकार का प्रायश्चित्त, जिसका भिक्षु सम्यक् प्रकार से पालन करता है, 'प्रायश्चित्त' तप है। सूत्र-१२२०
खड़े होना, हाथ जोड़ना, आसन देना, गुरुजनों की भक्ति तथा भाव-पूर्वक शुश्रूषा करना, 'विनय' तप है । सूत्र-१२२१
आचार्य आदि से सम्बन्धित दस प्रकार के वैयावृत्य का यथाशक्ति आसेवन करना, 'वैयावृत्य' तप है। सूत्र - १२२२
वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, अनुप्रेक्षा और धर्मकथा-यह पंचविध स्वाध्याय' तप है। सूत्र-१२२३
आर्त और रौद्र ध्यान को छोड़कर सुसमाहित मुनि जो धर्म और शुक्ल ध्यान ध्याता है, ज्ञानीजन उसे ही 'ध्यान' तप कहते हैं। सूत्र-१२२४
सोने, बैठने तथा खड़े होने में जो भिक्षु शरीर से व्यर्थ की चेष्टा नहीं करता है, यह शरीर का व्युत्सर्ग
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “(उत्तराध्ययन) आगमसूत्र-हिन्दी अनुवाद"
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