Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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१७५ आयुारका निरूपण
६५७-६६० १७६ अध्ययन का उपसंहार और समाप्ति १७७ पैतीसवें अध्ययनका प्रारम्भ
६६२१७८ भिक्षुके गुणका वर्णन
६६३-६६६ १७९ भिक्षु की वसतिका निरूपण
६६७-६७० १८० भक्तपानादि आरम्भ के निवारणका उपदेश
६७१ १८१ अग्नि समारम्भ के निषेधका निरूपण
६७२-६७४ १८२ भिक्षुको क्रयविक्रय के निषेध का निरूपण ६७५१८३ सामुदानिक भिक्षाका निरूपण
६७६-६७८ १८४ भक्तपानादिमें रसलोलुप न होनेका निरूपण ६७९-६८० १८५ शुक्लध्यानपूर्वक संयमाराधनका निरूपणम्
६८१-६८२ १८६ मृत्युसमय के कर्तव्यका निरूपण
६८३-६८४ १८७ जीव और अजीव के स्वरूप का निरूपण
६८५-६८८ १८८ जीवके दो प्रकारका निरूपण
६८९१८९ अरूपी अजीवों के दश भेदका निरूपण
६९०-६९२ १९० धर्मादिका निरूपण
६९३-६९४ १९१ कालसे धर्मादिका निरूपण
६९५-६९६ १९२ द्रव्यकी अपेक्षा से रूपिद्रव्यका निरूपण ६९७-७०२ १९३ क्षेत्रकी अपेक्षा से स्कंध एवं परमाणुका निरूपण ७०३-७.५ १९४ काल के विभाग और कालद्वारको आश्रित करके ___अजीवों कि स्थितिका निरूपण
७०६-७०८ १९५ भावहारको आश्रित करके स्कंधपरमाणुका निरूपण ७०९१९६ वर्ण गंध आदि प्रत्येक के उत्तर भेदका निरूपण ७१०१९७ गंधसे परमाणु का निरूपण ।
७११-७१२ १९८ स्पर्शको आश्रित करके और परमाणुका निरूपण ७१३-७१४ १९९ संस्थान को लेकर स्कंध परमाणुका निरूपण ७१५-७१६ २०० निलादि वर्गों के भङ्गका निरूपण
७१७-७२० २०१ गंधगुण के भंग का निरूपण
७२१-७२२ २०२ रसके भंगका निरूपण
७२३-७२६ २०३ स्पर्श भंगका निरूपण
७२७-७३४ २०४ संस्थान भंगका निरूपण
७३५-७३८ २०५ जीवाजीवके स्वरूपका निरूपण
७३९-७४० २०६ स्त्री मोक्षसमर्थनम्
७४१-७९३
उत्तराध्ययन सूत्र :४