Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad
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जम्बूद्वीपप्राप्तिस्ये हे गौतम ! 'बारस पुण्णिमाओ पारस अमावस्सायो पमनाभो' द्वादश-द्वादशसंज्ञकाः पूर्णिमा स्तथा द्वादश संख्यका एवामावास्याः प्रज्ञप्ताः कथिताः, तानेव द्वादश भेदान दर्शयितुमाह-'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा-'साविट्ठी' श्राविष्ठी श्रावणमासभाविनी, तत्र श्रविष्ठा धनिष्ठा तस्यां भवा या सा श्राविष्ठी पूर्णिमा अमावास्या च 'पोवई' प्रौष्ठपदी, तत्र प्रौष्टपदा उत्तरभद्रपदा तस्यां भवा प्रौष्ठपदी भाद्रपदमास भाविनी 'असोई' आश्वयुजी तत्र अश्वयुक् अश्विनी तस्यां भवा आश्वयुजी आश्विनेयमास भाविनी, 'कत्तिगी ४' कार्तिकी कृत्तिकायां भवा कार्तिकी कार्तिकमास भाविनी, 'मग्गसिरी ५' मार्गशीर्षी मृगशीर्षनक्षत्र भवा 'पोसी ५' पौषी-पुष्य नक्षत्रे भवा पौषी 'माही ६ माघी मघायां भवा माघी 'फग्गुणी' कुहू आदि पर्याय वाची शब्दों द्वारा भी अभिहित हुई है तथा च अब प्रकृत प्रश्न का उत्तर देते हुए प्रभु कहते हैं-'गोयमा बारस पुषिणमाओ बारस अमा. वासाओ' हे गौतम ! १२ पूर्णिमाएं और १२ ही अमावास्याएं कही गई हैं। 'तं जहा' वे उन दोनों के १२ प्रकार ये हैं-'साविट्ठी' श्राविष्ठी-श्रावणमास भाविनी-अविष्ठा धनिष्ठा में जो होती है ऐसी पूर्णिमा और अमावास्या को श्राविष्ठी-श्रावणमासभाविनी कहा गया है 'पोट्टवई' भाद्रपद मास भाविनी प्रोष्टपदा नाम उत्तर भाद्रपद नक्षत्र का है इस नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह प्रौष्ठपदी-भाद्रपद मासभाविनी पूर्णिमा एवं अमा. वास्था 'आसोई' आश्विनेयमास की जो पूर्णिमा और अमावास्या है वह आश्व यजी पूर्णिमा और अमावास्या है 'कत्तिगो' कृत्तिका नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह कार्तिक मास भाविनी पूर्णिमा और अमावास्या है 'मग्गसिरी' मृगशीर्ष नक्षत्र में जो पूर्णिमा और अमावास्या होती है वह मार्गशीर्षी पूर्णिमा और अमावास्या है 'पोसी' पुष्य नक्षत्र में होने वाली पूर्णिमा छ तथा य ९३ प्रत प्रश्न उत्तर आता 2xi प्रभु ४९ -'गोयमा ! बारस पुण्णिमाओ बारस आमावसाओ' है गोतम! १२ भूमिमा भने १२ अमावास्याये। यामा मावत छ. 'तं जहा' ते 'नना १२ १२ २. प्रभारी छे-'साविट्ठी' श्रावि०ी-श्रावY. માસ ભાવિની–વિઠા-ધનિષ્ઠામાં જે હેય થાય છે એવી પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યાને श्राविही-श्रावघास मालिनी ४ामा भावी छे. 'पावई' भाद्र ५४मास साविनी-गोष्ट. પદા નામ ઉત્તરભાદ્રપદ નક્ષત્રનું છે. આ નક્ષત્રમાં જે પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા આવે છે ते पीपी-भाद्र ५४ पास लाविना पूर्णमा भने अमावास्या छ 'आसोई' माश्विनयમાસની જે પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા છે તે આશ્વયુજી પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યા છે. 'कत्तिगी' कृत्ति। नक्षत्रमा ५ मा १२ अमावास्या मावे छ ते ४तिभास मालिनी
पूर्णिमा म२ २५मास्या माव छ 'मग्गसिरी' भृग नक्षत्रमा २ पूणिमा भने ..सायाच्या भावछतमागावी ५ मा भने अमावास्या छ. 'पोसी' पुष्य नक्षत्रमा
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