Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 510
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवनस्कारः सू. ३० ग्रहादीनां शीघ्रगत्यादिनिरूपणम् . ५०१ तत् जघन्येन द्वे षट्षष्टि योजनशते, अर्थात् षट्पष्टयधिके द्वे योजनशते इति, एतच्च निषधकूटादिक्रममपेक्ष्य ज्ञातव्यं तथाहि-निषधपर्वतः स्वभावतः उच्चैः चत्वारि योजनशतानि तदुपरि पश्चयोजनशतोच्चानि कूटानि तानि च कूटानि मूले पञ्चयोजनशतानि आयामविष्कम्भाभ्याम्, मध्ये त्रीणि योगनशतानि पञ्चसप्तत्यधिकानि, उपरि भागे अर्द्धतृतीये द्वे योजनशते तेषां चोपरितन भाग समश्रेणिप्रदेशे तथा-जगत्स्वभावा दष्टावष्टौ योजनानि अबाधया कृत्वा ताराविमानानि प्रचलन्ति ततो जघन्यतो व्याघातिकमन्तरं द्वे योजनशते पट्पष्टयधिके एव भक्तः इति ॥ 'उक्कोसेणं बारस जोयणसहस्साई दोणिय बापाले जोयणसए' उत्कर्षण द्वादश योजन सहस्राणि द्वे योजनशते द्विचत्वारिंशदधिके एतच्च मेरुपर्वतमधिकृत्य भवतीति ज्ञातव्यम्, तथाहि मेरुपर्वते दशयोजनसहस्राणि मन्दरपर्वतस्योभयतोऽबाधया एकादश योजनानि एकविंशत्यधिकानि ततः सर्वसंकलनया भवन्ति द्वादशयोजनसहस्राणि द्वे च योजनशते द्विचत्वारिंशदधिके इति, 'तारारुवस्स तारारूपस्स अबाहाए अंतरे पबत्ते' उपयु. इसका तात्पर्य ऐसा है कि निषध पर्वत स्वभावतः चार सौ योजन ऊंचा है एवं उसके उपर पांच सौ योजन ऊंचे कूट है, ये कूट मूल में पांच सौ योजन की लम्बाई चौडाई वाले हैं बीच में ३ सौ ७५ पोजन की और ऊपर में २५० योजन की लम्बाई चौडाई वाले हैं। इनके उपरितनभाग संबंधी समश्रेणी प्रदेश में तथा जगत्स्वभाव के अनुसार आठ २ योजन की दूरी पर तारा विमान चलते हैं इसलिये जघन्य की अपेक्षा व्याघातिक अन्तर २६६ योजन का ही है 'उक्कोसेणं वारस जोयणसहस्साइं दोणि य बायाले जोयणसए' एवं उत्कृष्ट से अन्तर १२ हजार दो सौ ४२ योजन का है यह अन्तर मेरु पर्वत की अपेक्षा से कहा गया है, 'ताराख्वस्त तारारुवस्स अबाहाए अंतरे पन्नत्ते' इस एक तारारूप से दूसरे तारारूप का अबाधा से अन्तर कहा गया है ॥३०॥ १२ वां द्वार समाप्त ॥ એવું છે કે નિષધ પર્વત સ્વભાવતા ચારસે ચેાજન ઊંચે છે અને તેની ઉપર પાંચસો જન ઊંચાઈએ ફૂટ છે, આ કૂટ મૂળમાં પાંચસો જનની લંબાઈ પહોળાઈવાળા છે વચમાં ૩૭૫ પેજનની અને ઉપરના ભાગમાં ૨૫૦ જનની લંબાઈ પહેલાઇવાળા છે. એમના ઉપરના ભાગ સંબંધી સમશ્રેણી પ્રદેશમાં તથા જગસ્વભાવના અનુસાર આઠ આઠ જનથી દૂર પર તારાવિમાન ચાલે છે આથી જઘન્યની અપેક્ષા વ્યાઘાતિક અન્તર ૨૬૬ योननु छे 'उक्कोसेणं बारसजोयण सहस्साई दोणि य बायाले जोयणसए' अ ष्टथी અન્તર ૧૨,૨૪ર બાર હજાર બસે બેંતાલીશ જનનું છે. આ અન્તર મેરૂપવતની अपेक्षाथी वाम माव्यु छ, 'तारारुवस्स तारारुवस्स अबाहाए अंतरे पन्नत्ते' मे તારારૂપથી બીજા તારા રૂપનું અબાધાથી અન્તર કહેવામાં આવ્યું છે. ૩૦ ૧૨ મું દ્વાર સમાપ્ત Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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