Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 513
________________ ५०४ जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिस्त्रे देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञता ? गौतम ! जघन्येन-चतुर्भागपल्योपमम् उत्कर्षेणार्द्ध परयोपमं पञ्चाशद्वर्षसहरभ्यधिकम् । सूर्यविमाने देवानां चतुर्भागपल्योपममुत्क्षण पल्योपमं वर्षसहस्राभ्यधिकर, सूर्यविमाने देवीनं जघन्येन चतुर्भागपल्योपममुत्कर्षणार्धपल्योपमं पश्चभिर्वर्षसहरभ्यधिकम् । ग्रहविमाने देवानां जघन्येन चतुर्भागपल्योपममुत्कर्षेणार्द्धपल्योपमम् । नक्षत्रविमाने देवानां जघन्येन चतुर्भागपल्योपमनुत्कर्षेणार्द्धपल्योपमम्, नक्षत्र बिमाने देवीनां जघन्येन चतुर्भागपल्योपममुत्कर्षेण साधिकं चतुर्भागपल्योपमम्, ताराविमाने देवानां जघन्येनाष्टभागपल्योपमम् उत्कर्षेण चतुर्भागपल्योपमम्, तारा विमानेदेवीनां जघन्येनाष्टभाग पल्योपममुत्कर्षेण सातिरेकाष्टभागपल्पोपमम् ॥ सू० ३१॥ ___ टीका-'चंदस्स णं भंते' चन्द्रस्य खलु भदन्त ! 'जोइसिंदस्य जोइसरण्णो' ज्योतिष्केन्द्रस्य ज्योतिष्कराजस्य, तत्र-ज्योतिष्केन्द्रस्य-ज्योतिष्कदेवानामिन्द्रस्य तादृशानामेव राज्ञः 'कइ अग्गमहिसीओ पन्नताओ' कति-कियत्संख्यका अग्रमहिष्य:-पट्टरायः प्रज्ञप्ता:-कथिता इति प्रश्नः, भगवानाइ-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयया' हे गौतम ! 'चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ' चतस्रोऽग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः, हे गौतम ! ज्योतिष्कदेवराजस्य चन्द्रस्य सम्बन्धिन्य चतुःसंख्यकाः पट्टराज्ञो भवन्तीत्यर्थः तासां प्रत्येकनाम दर्शयितुमाह-'तं जहा' इत्यादि, 'सं जहा' तद्यथा-'चंदप्पभा' चन्द्रप्रभा-चन्द्रवत्प्रभा-कान्ति र्दीप्ति विद्यते यस्याः सा चन्द्र तेरहवें द्वार के सम्बन्ध में वक्तव्यता 'चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्त' इत्यादि। टीकार्थ-गौतमस्वामी ने इस सूत्र द्वारा प्रभु से ऐसा पूछा है-'चंदस्सणं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरणो' हे भदन्त ! ज्योतिष्येन्द्र ज्योतिष्क राज चंद्र देव की 'कई अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ' कितनी अग्रमहिषियां-पट्टरानियाँ कही गई हैं। इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोधमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णताओ' हे गौतम ! ज्योतिष्केन्द्र ज्योतिष्कराज चंद्र देव की अग्रमहिषियां चार कही गई हैं । 'तं जहा' उनके नाम इस प्रकार से हैं-'चंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा' चन्द्रप्रभा-इसकी शारीरिक कान्ति चन्द्र की प्रभा के जैसी તેરમાદ્વારના સમ્બન્ધમાં વક્તવ્યતા– 'चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स' (त्यादि। राय-श्री गौतभस्वामी प्रस्तुत सूत्र द्वारा प्रभुने या प्रमाणे ५७युछे-'चं दस्स णं भो ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो' 8 महन्त ! ज्योति०४ यन्द्र न्यातिः४२१०४ यन्द्रवनी 'कई अगमहिसीओ पन्नत्ताओ' : अमहिषा-पट्टणीस। ४३वामां आवी छ ? माना उत्तरमा प्रभु छ-'गोयमा ! चत्तारि अग्गमहिसीओ' गौतम ! तिन्द्र ज्योति २४२११ यन्द्रध्वनी अमरिष्यामा यार ४९सी छ, 'तं जहा' तमना नाम २॥ प्रभा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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