Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 524
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू. ३१ चन्द्रस्यानमहिष्याः नामादिनिरूपणम् ५५ ___ सम्प्रति-पश्चदर्श द्वारं प्रश्नयनाह-'चंदविमाणेणं' इत्यादि, चंदविमाणेणं भंते' चन्द्रविमाने खलु भदन्त ! 'देवाणं केवइयं कालं ठिई पन्नत्ता' कियन्तं कालं कियत्कालपर्यन्तं स्थितिः प्रज्ञप्ता-कथिता इति प्रश्न:, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'जहण्णेणं चउभागपलिओवम' चन्द्रविमानस्य देवानां जघन्येन चतुर्भागपल्योपमम्, स्थितिः पल्योपमस्य चतुर्थोभाग इत्यर्थः 'उक्कोसेणं पलियोवमं वाससयसहस्समभहियं उत्कर्षण एक पल्योपमं वर्षशतसहस्राभ्यधिकं स्थितिरिति एफलक्षवर्षाधिकमेकं पल्योपममित्यर्थः । 'चंदविमाणेणं देवीणं जहणेणं चउभागपलिओवम' चन्द्रविमाने खलु देवीनां स्थितिः जघन्येन चतुर्भागपल्योपमस्यैकस्य चतुर्थों भाग इत्यर्थः, आलापप्रकारस्तु एवम्-हे भदन्त ! चन्द्रविमाने देवीनां कियत्कालं स्थितिरिति प्रश्नः, भगवानाह-हे गौतम ! चन्द्रविमाने वसन्तीनां देवीनां जघन्येन पल्योपमस्य चतुर्थोभागः स्थितिकाल इति एवं क्रमेणसर्वत्र प्रश्नवाक्यमुन्नम्योत्तरवाक्यं पूरणीयम्, 'उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णसए वाससहस्सेहि अब्भहियं' उत्कर्षेणार्द्धपल्योपमं पश्चाशतावर्षसहस्रैरभ्यधिकम्, चन्द्रविमाने हि चन्द्रदेवः मान में देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेणं पलिओवम वाससयसहस्समभहियं' हे गौतम ! चंद्र विमान में देवों की स्थिति जघन्य से एक पल्या पम केचतुर्थभाग प्रमाण है और उत्कृष्ट स्थिति एकलाख वर्ष अधिक एक पल्यो. पम की है 'चंदविमाणेणं देवीण जहण्णेणं चउभागपलिओवमं' चंदविमान में देवियों की स्थिति जघन्य से एक पल्य के चतुर्थभाग प्रमाण है यहां पर प्रश्न रूप आलाप प्रकार ऐसा है-'हे भदन्त ! चन्द्रविमान में रहने वाली देवियों की स्थिति कितने काल की है ? तब 'हे गौतम! चन्द्र विमान में रहने वाली देवियों की जघन्य स्थिति तो एक पल्योपम के चतुर्थ भाग प्रमाण है और 'उक्कोसेणं अतपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अन्भहियं' उत्कृष्ट स्थिति ५० हजार वर्ष अधिक अर्द्धपल्योपम की है। ऐसा ही सर्वत्र प्रश्नवाक्य करके उत्तर वाक्य को દેવેની સ્થિતિ કેટલા કાળની કહેવામાં આવી છે? આના જવાબમાં પ્રભુ કહે છે. 'गोयमा! जहण्णेणं चउभागपलिओवमं उक्कोसेगं पलिओचमं वाससयसहस्समभहियं ગૌતમ! ચન્દ્રવિમાનમાં દેવેની સ્થિતિ જઘન્યથી એક પલ્યોપમના ચતુર્થભાગ પ્રમાણ છે. सन डट स्थिति मे४ ५ १ मधि से पत्या५मनी छे. 'चदविमाणे देवी महणणं चउब्भागपलिओवमं' यन्द्रविमानमा हवीयानी स्थिति धन्यथी ये पयन ચતુર્થભાગ પ્રમાણે છે. અહીંયા પ્રશ્નરૂપ આલાપ પ્રકાર એવા છે-હે ભદન્ત ! ચન્દ્રવિમા રહેનારી દેવીઓની સ્થિતિ કેટલા કાળ સુધીની છે ? ત્યારે તે ગૌતમ! ચન્દ્રવિમાનમાં રહેનારી દેવાની જઘન્ય સ્થિતી તે એક પલ્યોપમના ચતુર્થભાગ પ્રમાણ છે અને 'उक्कोसेंणे अद्धपलिओवर्म पण्णासाए वाससहस्सेहिं अमहियं' उत्कृष्ट स्थिति प र વાનમાં Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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