Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti Ahmedabad

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Page 478
________________ प्रकाशिका टीका-सप्तमवक्षस्कारः सू. २९ चन्द्रसूर्याणां विमानवाहक देवसंख्यानि० समलिट्टिय संग तिक्खग्ग संगयाणं तणुसुहुमसुजाय णिद्धलोमच्छविधराणं उवचियमंसलविसालपडिपुण्णखंधपएससुंदराणं वेरुलियभिसंतकडक्खसुणिक्खिमाणाणं जुत्तपमाण पहाणलक्खणपसत्थरमणिज गग्गर गल्लसोभियाणं घरघरगसुसद्द बद्धकंठपरिमंडियाणं णाणामणि कणगरयणघट्टिया वेगच्छिग सुकयमालियाणं वरघंटागलय मालुज्जलसिरिधराणं पउमुप्पलसगल सुरभिमालाविभूसियाणं वइखुराणं विविहखुराणं फालियामयदंताणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुयाणं तदणिज्जजोत्तगसुजोइयाणं कामगमाणं पीइगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं अमियगणं अमिय बलवीर पुरिस्सकारपरक्कमाणं महया गज्जियगंभीररवेणं महुरेणं मणहरेणं पूता अंबरं दिसाओ य सोभयंता वत्तारि देवसाहसीओ वसहरूवधारणं देवाणं पञ्च्चत्थिमिल्लं वाहं परिवहति त्ति । चंदविमाणस्स णं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं तरमल्लिय हायणाणं हरिमेलमउलमल्लिअच्छाणं चंचुच्चियललिय पुलिय चलचवलचंचलगईणं लंघणवग्गण धावणधोरण तिवइ जइण सिक्खियगईणं ललंतला मगललायवर भूसणाणं संनयपासाणं संगयपासाणसुजायपासाणं पीवरवहिय सुसंठियकडीणं ओलंचपलंबलक्खणप्पमाणजुत्तरमणिजवाल पुच्छाणं तणुसुहुमसुजाय णिद्धलोमच्छविहराणं मिउक्सिय सुहुमलक्खण पत्थविच्छिण केसरवालिहराणं ललंतथासगललाडवर भूलणाणं मुहमंडगओचूलगचामरथासग परिमंडियकडीणं तवणिज्जखुराणं तवणिजजीहाणं तवणिजतालुयाणं तवणिजजोत्तम सुजोइयाणं कामगमाणं पीड़गमाणं मनोगमाणं मणोरमाणं अमियगईणं अमियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमाणं महयाहयहेसिय किलकिलाइय रखेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेंता अंबरंदिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ हयरुवधारिणं देवाणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति त्ति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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