Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 418
________________ अणुवेलंघर-अति अणुवेलंधर [अनुवेलन्धर] जी० ३१७४७ से ७५० ५६३,५६६,६३७,६३८,६५२,६५८ से ६६०, अणुव्वय [अणुव्रत ] ओ० ७७ ६६५,६६६,६७६,७१०,७१३,७२१,७३६, अणुसज्ज [अनु-+ सङ्ग्] -अणुसज्जति ७४७,७६०,७६१,७६३ से ७६६,७६८,७७० ____ अगोवमा (दे) खाद्यविशेष से ७७४,८००,८१४,८४३,८४६,६१७,१०२५ अणुसज्जणा [अनुसउजना] जी ० ३१२१८,६३१ ।। अण्ण [अन्न ] ओ० १४६.१५०. रा०८१०,८११ अणुसार [अनुसार] जी० ३१७७ अण्णउत्थिय [अन्ययूथिक ] ओ० १३६. अणुहो [अनु+भू]----अणुहोति ओ० १९५२१ जी० ३।२१०,२११ अणूण [अनून] जी० ३१८३८:२७ अग्णगिलायय [अन्नग्लायक] ओ०३४ अग अनेक ] ओ० १.५ से ८,१०,१६,४६,६३, अण्णजीविय [अन्य जीविक] रा० ७३३,७३४,७३६ ७१,१६५. रा०७,१७,१८,२४,३२,५२,५६, अण्णत्त [अन्यत्व रा० ७६२,७६३ ६१,६६,१७४,२०६,२११,२३१,२४७,७५४, अण्णत्य [अन्यत्र ओ० ८६ जी० ३१७२१ ७५६,७६२,७६४. जो० ३।११८,११९,२५६, अण्णमण्ण [अन्यान्य ] ओ० ५२,११७,११८. २७४ से २७७,२८६,३७२,३७४,३६३,५८१, रा० १६,४०,१३२,१३३,६८७,७१३,७७४. ५८५ से ५६६,६३६,६४६,६७३,६७४,७५६, जी० ३२२,२७,११०,१११,२६५,३०३,६२०, ८८४,८८८ ६२५,८४५ अणेगजीव [अनेकजीव] जी० १७१ अण्णयर [अन्यतर ओ०२८,७२,८६ से १३, अणेगवासपरियाय [अनेकवर्षपर्याय ओ० २३ १०५,१०६,१२८,१२६,१८६. रा० ७५० से अणेगविष [अनेकविध] जी० २११०३ ७५३,७६६. जी० ११३३, ३१२३९ अणेगविह अनेकविध ] ओ० ३२ से ३६, अण्णया अन्यदा] बो० ११६. रा०६८० जी. १९६५.७१ से ७३,७८,८१,५४,८८, अण्णलिंगसिद्ध । अन्यलिङ्गसिद्ध] जी० श८ ८६,१०७,१०८,११२,११४,११५,२।६ अण्णविहि [अन्नविधि] ओ० १४६ अगसिद्ध [अनेकसिद्ध] जी० ११८ अण्णाण [अज्ञान] ओ० ४६. जी० १।१०१,१२८; अणोगाढ [अनवगाढ ] जी० ११४२ ३१५२ अणोग्यसिय [अनवर्षित ] जी० ३:३२२ अण्णाणवोस [अज्ञानदोष ] ओ० ४३ अणोवम अनुपम ओ० १६५१७,२२. अण्णाणि [अज्ञानिन्] जी० ११३०,८७,९६,११६, अणोवमा [दे०] खाद्यविशेष जी० ३१६०१ १३३,१३६, ३।१०४,१५२,११०७,११०८%, अणोवाहणम [अनुपानक] ओ० १५४,१६५,१६६ है।३०,३२,३५.१४३,१५६,१६४ से १६६ अण्ण [अन्य ] ओ० १७,२३,५२,७६ से ८१. रा० ४०,५६,५८,१३२,१८५,२०५ से २०८, अण्णाणिय अज्ञानिक जी० ६।३४ २४०,२७६,२८०,२८२,२८६,२६१,६५७, अण्णायचरय [अज्ञातचरक ओ० ३४ ६८७,६८८,७०४,७४८ से ७६४,७७१ से अण्णोग्ण [अन्योन्य] ओ० १६५९ ७७३,९०३,८०४. जी० ११५०,६५,७१ से अण्ह आ+स्नु-अहाइ ओ०५४ ७३,७८,८१,८४,८८,१००,१०३,१११,११२, अण्हयकर (आस्नवकर] ओ० ४० ११४ से ११६,११८,१२१,३१२६७,३०२, अण्हाणग [अस्नानक | ओ० ८६,६२. रा० ८१६ ३१३,३५०,३५१,३६८ से ३७१,३८८,३६०, अण्हाणय [ अस्नानक] ओ० १५४,१६५,१६६ ४०२,४४२,४४६,४४८,४५५,४५७,५५७, अति [अयि ] रा० १२१,६६८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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