Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 633
________________ सोमाण-हत्य सोमाण सोपान | रा० ४७,१७५ से १७६,६५६. सोहम्मा सुधर्मा] जी० ३१३७३ जी० ३.५५६,६४०,६४१,८५७ सोहि [शोधि] ओ० २५ सोय [शौच j ओ० २५. २१० ६८६ सोहिय शोभित | ओ० ५,६,८,१६४ जी० ३३२७४, सोय [श्रोतस् ओ० १२२ २७५ सोयंधिय {सौगन्धिक जी० ३१७ सोयणया शोचनता] ओ० ४३ सोयधम्म शौचधर्म] ओ० ६७ हंत हन्त] रा० १५ सोल (पोडश | जी० ३१२२६।२ हंता हित] ओ० ८४. रा०१७३. जी. ३११३ सोलस पोडशन् ! ओ० ३३. रा. ७. जी. ३२१४ हंस हं।] ओ० १६. रा० २६. जी. ३१२८२, ५६७ सोलसग पोडशक | जी० ३६५ सोलसभत्त पोडशभक्त ओ० ३२ हंसगब्भ हिंसगर्भ ] रा० १०,१२,१८,६५ १६५, सोलसविध पोडशविध ] जी० ३६७,३५७ २७६. जी० ३७,२८४ सोलसविह [पोडशविध रा० १६५. जी० ३।३४६ हंसगन्भतूलिया हसगभलिका] रा० ३१ सोलसिया [पाडशिका र ० ७७२ हंसगन्भतूली | हंसगर्भवली | जी० ३।२८४ सोल्लियपक्व अ० १६४ हंसगम्भमय हसगर्भमय रा० १३०. जी० ३।३०० सोवणियासौवणिक ० ३७,२४५,२७६,२८०. हंसस्सर हंसम्म ] रा० १६५. जी० ३१३०५,५६८ जा०६।३११,४०७,४४५,४४६,४४० हंसालिपविभत्ति | हंसावलिप्रविभक्ति ] रा० ८५ सोवत्थियौवस्तिक ओ० १२,६४. २१० २४. हंसासण [हसासन रा० १८१.१८३,१८५ जी० ३।२७७.५६६ जी० ३१२६३,२६५,२६७,८५५ हवकार आकारय]हक्कारेति रा०२८१. सोवाण | सोपान] रा० १६,२० ४८,५६,५७, जो० ३।४४७ २०२,२३४,२६४,२७७,२८८,३१२,४७३. हट हृष्ट] ओ० २०,२१,५३,५४,५६,६२,६३, जी० ३१२९७.२८५,३६३.३६६,४४३,४४७, ६८,७८,८०,१. रा०८,१०,१२ से १४, १६ ५३२,५७६,६६६.६८४ से १८,४७.६०,६२,६३,७२,७४,२७७,२७६, सोस [शोष जी० ३६२८ २८१,२६०,६५५,६८१,६८३,६६०,६६५,७००, सोह शोभ ओ० ५२. रा० ६६७ से ६८६ ७०७,७१०,७१३,७१४,७१६,७१८,७२५,७२६, सोहंत [शभिमान] रा० १३६ ७७४,७७८.जी. ३.४४३,४४५,४४७,५५५ सोहग सौभाग्य] औ० ६६ हडप्पगाह [हडप्पनाह] ओ० ६४ सोहम्म | सौधर्म ] ओ०५१,६५,१६०,१६२. हडिबद्धग [हडिवद्धक) ओ०६० रा० ७,१२,५६,१२४,२७६,७६६. जी०११५६ हण | घातय..-हण रा० ७६१ २११६,४६,१४६; ३१६३७,१०३८,१०५७, हण हनु] ओ० १६ १०६५,१०६७,१०७१,१०७३,१०७५,१०७७ हणुया हनुका] जी० ३१५६६,५६७ से १०८३,१०८५,१०८७,१०६०,१०६१, हत्य हस्त ] ओ० २१,५४,६६,१११ से ११३, १०९३,१०६७ से १०६६,११०१,११०५, १३७,१३८. रा० १३३,२८१,२८८ से २६०, ११०७,११०६ से १११२,१११४,१११७, ६५६,७१६,७५३,८०४. जी. ३१४४७,४५४ ११६,११२१,११२२,११२४,११२८ से ४५६,५६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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