Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 484
________________ ६२२ चिरट्रिइय-चोयग चिरदिइय [ चिरस्थितिक] ओ०७२ १३, १५, ५६, ५८, २४०,२७६, ६७८,६८६, चिराईय [विरादिक, चियतीत ] ओ० २. रा० २ । ६८७,६८६,६६२,७००, ७०४, ७०६,७११, चिराहड [विराहत] रा० ७७४ ७१६, ७७६ चिलाइया | किरातिका] रा०८०४ चेइयखंभ [चैत्यस्तम्म। रा० २३६ से २४२,२४४, चिलाई किराती ओ०७० ३५१. जी० ३४०१ चिल्लय दि० ओ० ४६. जी० ३१५८६ चेइयथभचत्यस्तू। रा० २२२ से २२४, २२६, चिल्ललग | दे०] १० ६६. जी० ३१६८२ ३०५,३१६,३४३. जी० ३,३८१,३८२,३८५, चोणंसुय [ची नाशुक | जी० ३१५६५ ४७०, ४८१, ५०८ चीणपिट । चीनप्रष्ट ] रा० २७. जी० ३१२८० चेइयमह [चैत्यमह] रा०६८८. जी. ३१६१५ धुण्ण | चूर्ण | रा० १५६, १५७, २५८, २७६, चेइयरक्य | चैत्यरूक्ष ] 1० २२७ से २३०, ३१०, २८१,२६१. जी० ३।३२६, ८१६, ४४७,४५७ ३१५, ३४८. जी० ३।३८६ से ३८८, ३६१, चुण्णजत्ति [चूर्णयुक्ति ] ओ० १४६ ३६२,४१२, ४७५. ४८०, ५१३ चुय | च्युत | ओ० ८८ चेद्रिय [चेष्टित ] जी० ३।३०३, ५६७ चुलणिसुत | चुलनीसुत] जी० ३१११७ चेड [चेट] ओ० १८. १० ७५४, ७५६, ७६२, चुलसीत [चतुरसीति] जी० ३१७२८ ७६४ चुल्लहिमवंत [क्षुल्ल हिमवत् ] रा० २७६. चेडिया [ चेटिका ओ० ७०. रा०८०४ जी० ३।२१७, २१६ से २२१, ४४५, ७९५, चेतिय [चंत्य ] जी० ३।४०२, ४४२ ६३७ चेतियखंभ [चल्यस्तम्भ ] जी० ३।४०२ से ४०४, चूचुय [चूचुक] रा० २५४. जी० ३६४१५, ५६७ ४०६, ४४२, ५१६, १०२५ चूममणि | चूडामणि] रा० २८५. जी० ३१४५१ चेतियथूभ । चैत्यस्तूप] जी० ३१३८३, ४८१,६६४, धूत [चूत ] जी० ३१३५१ ८६५, ८६७ चूतवण | चूतवन] जी० ३१३५८ चेतियरुक्ख [चैत्यरूक्ष जी० ३।८६८, ८६६ चूय [चूत] रा० १८६ चेल (पाय) [चेलपात्र] ओ० १०५, १२८ चूय (लया) | चूतलता जी० ३।२६८ चेल (बंधण) चेलबन्धन ओ० १०६, १२६ चूयलया । चूतलता ओ० ११. रा० १४५. चेलुक्खेव [चेलोत्क्षेप] रा० २८१. जी० ३।४४७ जी०३:५८४ चोउट्टि [ चतुष्पष्टि] जी० ३।२१८ चूयलयापविभत्ति तलनाविभक्ति] रा० १०१ चोक्ख [चोक्ष] ओ० २१, ५४, ६८. रा० २७७, चूयवडेंसय | चूतावतंसक रा० १२५ २८८, ७६५, ८०२. जी० ३१४४३ चूयवण | चूतन रा० १७०. जी० ३३५८ चोक्खायार चोक्षाचार] ओ०६८ चूलामणि | चूडामणि ओ० ४७, १०८, चोत्तीस | चतुत्रिशत् ] जी० ३।६६६ जी० ३।५६३ चोट्स | चतुर्दशन् ] जी० ३१३६ चूलिया । चलिका ० ३८४१ चोप्पाल [चोप्पाल] रा० २४६ जी० ३।४१०, चूलोषणय [ चूडपनय ] श०८०३ ५२०,६०४ चूलोवणयण ! बूढानमन] जी० ३।६१४ ।। चोप्यालय चोप्पालक ] रा० ३५५ चेइय [चे य] ओ० १ से ३,१६ से २२, ५२, ५३, चोय [दे०रा० ३०. जी० ३।२८३,३३४,४१६.५८६ ६५, ६६, ७०, १३६. रा० २, ८ से १०,१२, चोयग दे०] रा० १६१,२५८,२७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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