Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 569
________________ मणिपेढिया मोग मणिपेढया | मणिपीठिका | रा० ३६,३७,६६,६७, २१८,२१६,२२१,२२२,२२४ से २२७,२३०, २३१,२३८, २३६,२४२ से २४७, २५२, २५३, २६१,२६४,२६७,२६६,३००,३०५ से ३११, ३१७ से ३२१, ३३८, ३४४ से ३४७, ३५२ से ३५४, ४१४,४७४, ५३४, ५६५. जी० ३१३१०, ३११,३६५, ३६६, ३७७.३७८, ३८०, ३८१,३८३ से ३८६,३६२,३९३,४००, ४०१,४०४ से ४०६,४१३,४१४,४२२,४२३, ४२७, ४२८, ४५७, ४६५, ४७० से ४७४, ४८२ से ४८६,५०३, ५०६ से ५१२, ५१६ ते ५१६, ५२६,५३३,५४०,५४८, ५५७, ६३४, ६४६, ६५०,६६३,६७१ से ६७५, ७५८, ७५६,७६५, ७६८,७७०, ८६१ से ६००,६०६,६०७ मणिमय [ मणिमय ] रा० १६,२०,३६,३७,१३०, १३५,१३८, १५५,१६०,२१८,२२१,२२४, २२६,२२८,२३०,२३८, २४२, २४४ से २४६, २६१,२७०, २७६,२८० जी० ३।२६५,२८७, २८८,३००,३०५,३११,३१३,३२२,३५३, ३६५,३७७, ३८०, ३८३, ३८५, ३६२,४००, ४०४,४०६ से ४०८, ४१३, ४२२,४२७, ४३५, ४४३, ४४५, ६४६, ६४६, ६५४,६७१,७५८, ८६१,८६३,८६५, ८६७,८६६,६०६ मणियंग [ मव्यङ्ग | जी० ३१५६३ मणिलक्खण [मणिलक्षण | ओ० १४६. रा० ८०६ fan | मणिवृत्तक | जी० ३०५८७ मणिसिलामा | मणिशलाका ] जी० ३१५८६,८६० मई [ मनुजी ] जी० ३।५६७ मणुष्ण | मनोज ] ओ० ४३,६८,११७. रा० ३०, ४०,७८,१३२,१३५,१७३,२३६,७५० से ७५३, ७७४,७६६. जी० ११३५; ३।२६५, २८३,२८५,३०२,३०५, १०६०, १०६६, १११७ गुणतराय [मनोज्ञतरक] २० २५ से ३१,४५. जी० ३२७८ से २८४, ६०१ म [ मनुज ] ०४४,६८,६०,६१,६३,१६१, Jain Education International ७०७ १६३,१६८. रा० २८२,८१५. जो० ११५२; ३८८,१२६, ४४८,५५६, ५६६, ५६८ से ६००, ६०३,६०५ से ६२१,६२५, ६२७ से ६३१, ७६५,८४१,११३७; २५४ मणुरायवसभ [ मनुजराजवृषभ ] ओ० ६५ मणुयलोग [मनुजलोक ] जी० ३१८३८११,४ से ६ मणुयलोय [ मनुजलोक ] जी० ३१८३८१३ मणुस [ मनुष्य ] ओ० ७३,१७० रा० २७,७३२, ७३७,७७१. जी० ११५१,५४, ५५,५६,६१,६५, ७६,८७,६१,६६,१०१,११६, १२३.१२६,१२६, १३४,१३६; २१२,११,१४,२६ से ३०, ३२ से ३४,५४, ५७ से ६१,६५,६६,६८,७०,७२,७५, ७७,८०,८४,८५,८८, १६, १०६, ११४, ११५, १२३,१२४,१३२ से १३४, १३७,१३८, १४३, १४५, १४७, १४६; ३११,८४,११८, २१२ से २१५, २१७ से २२५, २२७ से २२६,२८०, ५७६, ८३६,८३८११३, ८४०, ११३२, ११३५, ११३८ ६१.४,६,१२ ७११, ६, १२, १७, १८, २०,२३; ११५६,१५८, २०६,२१८,२२०, २३१ मस्सखेत [ मनुष्यक्षेत्र ] जी० १११२७; ३।२१४, ८३५ से ८३७,८३८२१ मस्सजोणिय [मनुप्ययोनिक ] जी० राष्ट मणस्तत [ मनुष्यत्व ] ओ० ७३ मस्सिद [ मनुष्येन्द्र ] ओ० १४. रा० ६७१ मस्सी [ मानुषी ] जी० ३: ५७६; ६ । ११४, ६, १२; ६२०६,२१८,२२० मणूस [ मनुष्य ] ओ० १. जी० ३९६३, ६६७; २१२, २२१,२२५,२२६,२३२, २३७,२३८, २४५,२४६,२५०,२५१,२५५,२६७,२७२, २७३,२८१,२८२,२८६,२८७,२६०,२६३ मणूसपfरसा [ मनुष्य परिषद् | ओ० ७८ मसी [ मानुषी | जी० ६।२१२ मणोगम [ मनोगम] ओ० ५१ मोगय [ मनोगत ] रा ० ६,२७५, २७६,६८८, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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