Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 576
________________ ७१४ माणपरिवाय-मुएत्ता माहणपरिष्वाय माहनपरिव्राजक] ओ०१६ ८०२,११. जी० ३.६१३,६३१ माहणपरिसा माहनपरिषद् ] रा० ७६७ मित्त मात्र] रा० २५४,८०६,८१० माहप्प [माहात्म्य] ओ० ७१. रा०६१ मितपक्ख [मित्रपक्ष] जी० ३१४४८ माहिद माहेन्द्र ] ओ० ५१,१६२. जी. २०६६, मिथुण मिथुन] जी० ३१६३६ १४८,१४६, ३।१०३८,१०४७,१०५८,१०६६, मिघुण (मिथुन] जी० ३६३५५ १०६५,१०७६,१०८८,१०६४,११०२,११११ मिय (मग] रा०६७१,७०३,७१५ मिउ मृदु] रा० ३७,१३३. जी० ३।३०३,३११, मिय [मित] ओ० १६ ५६२,५६६,५६८,७६५,८४१ ।। भियगंध [ मृगगन्ध] जी० ३१६३१ मिउमद्दवसंपण्ण [मृदुमार्दवसम्पन्न ] ओ० ११ मियवण [मृगवन ) रा० ७०६,७११,७१३.७१६. मिउमद्दवसंपणया [मृदुमार्दवसम्पन्नता] ओ० ११६ मिजा [मज्जा] ओ० १२०,१६२. रा० ६६८, मिरिय [ मरीचि ] रा० १३३. जी. ३१२६१,३०३ ७५२,७८६ मिरीइकवच [मरीचिकवच जी० ३१३७२ मिग मिग] ओ०५१. रा०२४. जी०३१०३८ मिरीय [मरीचि जी० ३१२६६,२६६,२७७ मिगज्य [मगध्वज] रा० १६२. जी०३१३३५ मिल ! मिल्] -मिलति जी० ३।४४५ मिगलुद्धग [ मृगलुब्धक] ओ० ६४ इमिलाय [मिल्]--मिलायंति. रा० २७६ मिगलोम [ मृगलोम] जी० ३१५६५ मिलाइत्ता [मिलित्वा] रा० २७६ भिगवण [मृगवन] रा० ६७० मिलायमाण म्लायत्] रा० ७८२ मिच्छ [म्लेच्छ ] ओ० १९५१६ मिलित्ता [मिलित्वा] जी० ३।४४५ मिच्छत्त [मिथ्यात्व] ओ० ४६ मिलेच्छ [म्लेच्छ ] जी० ३।२२६ मिच्छत्तकिरिया [भिथ्यात्वक्रिया] जी० ३१२१०, मिसिमिसंत दे० ओ०६३ मिसिमिसेत [दे०] रा० १७,१८,६६,७० मिच्छत्ताभिणिवेस [मिथ्यात्वाभिनिवेश] ओ० मिस्स [मिश्र जी० ११७११२ मिहुण [मिथुन] ओ० ६. जी० ३।२७५,२८६ मिच्छदिदि [मिथ्यादृष्टि] ओ० १६०. रा० ६२. मिहुणग [मिथुनक] रा० १७४. जी० ३१३१८ जी० ३३१०३,१५१ मिट्ठणय [मिथुनक] जी० ३।११८,११६ मिच्छा [मिथ्या जी० ३३२११ मीरिय [मरीचि] ओ० १२ मिच्छासणसल्ल [मिथ्यादर्शनशल्य ] ओ०७१, मीसजाय [मिश्रजात] ओ० १३४ ११७,१६१,१६३. रा०७६६ मोसय [मिश्रक] ओ० ४६ मिच्छादसणसल्लविवेग [मिथ्यादर्शनशल्यविवेग] मोसिय मिश्रित] ओ० २८ ओ० ७१ मुइंग [मृदङ्ग] ओ०६७,६८. रा०७,१३,२४,७७, मिच्छादिट्टि [ मिथ्यादृष्टि] जी० ११२८,८६; ६५७,७१०,७७४. जी० ३३२७७,३५०,४४६, ३१११०५,११०६६।६७,६९ ५६३,५८८,८४२.८४५,१०२५ मिणालिया [ मृणालिका] जी० ३१२८२ मुइत्ता [मुक्त्वा ] रा० २८८ मित [मित] जी० ३१५६६,५६७ मुइय [मुदित] ओ० १४. रा०६७१ मित्त [ मित्र ] ओ० १५०. रा० ७५१,७७४, मुएत्ता [मुक्त्वा ] जी० ३४५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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