Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 622
________________ सिधा -सिय सिंघाडग [नाटक ] ओ० १,५२,५५. रा० ६८७, सित्थ [सिक्थ ] जी० ३।५९२ ७१२. जी० ३१५५४,५५५ सिद्ध [सिद्ध] ओ०७१,७४१३,६,१८३,१८४, सिंघाडय शुङ्गाटका रा०६५४,६५५ १८६ से १६२,१९४१,२,४ से ११,१३,१५, सिंदुवार [सिन्दुवार] जी० ३१२८२ १७,१६ से २१. जी. १६९,१०,१२, सिंदुवारगुम्म [सिन्दुवारगुल्म ] जी० ३१५८० १४,१६,२६,४४,४५,५४,६२,६६,१५६, सिंधु [सिन्धु] रा० २७६. जी० ३।४४५,५६५ १५८,२०६,२१५,२१६ से २२१,२२७,२३० ६३७ से २३२,२४०,२४६,२६५,२६७,२७५,२७६, सिभिध श्लैष्मिक ] ओ० ११७. रा० ७६६ २८४ से २८७,२६२.२६३ सिंह [सिंह | जी० ३.७८१,७८२,१०३८ सिद्धकेवलणाण [गिद्धकेवलज्ञान ] रा० ७४५ सिंहली [सिंहली] ओ० ७०. रा० ८०४ सिद्धत्य | निद्धार्थ रा० १५६,१५७,२५८,२७६ सिक्कग [शिस्यक० १३२,१५३,२३६,२४०. जी० ३१३२६,४१६,४४५ जी० ३३३२६,४०२ सिद्धत्यय [सिद्धार्थक] रा० २७६,२८०. सिक्कय [शिक्यता] १० १३२,१४०,७६१. जी. जी० ३१४४५,४४६,४४८,५६३ ३।३०२,३२६.३६८,४०२ सिद्धवसहि सिद्धव ति] ओ० ७४१३ सिक्खा | शिक्षा | ओ० ७६,७७,६७ सिद्धाश्तण | सिद्धान्तन रा० २५१,२५२,२५६, सिक्खाव | शिक्षय ] ---सिक्खाविहिति ओ० १४६ २६०,२७६,२८८,२६१,२६३,२६४,३१३, -सिक्खावेहिइ, रा०८०६ ३३१,३३२. जी० ३६४१२,४१३,४२०,४२१, सिक्खायय शिक्षाव्रत] ओ० ७७ ४५४,४५७ से ४५६,४७८,४६६,४६७,६७४, सिक्खावित्ता [शिक्षयित्वा ! ओ० १४६ ६७६,६७७,६६१ से ६६८,८२५,८८४,९०१ सिक्खवेत्ता | शिक्षयित्वा] रा०८०७ से ६०५,६०६,६१३ सिग्घ [शीन] रा० १०,१२,५६,२७६. जी० सिद्धालय [ सिद्धालय ] ओ०७४।६,१६३ ३८६,१७६,१७८,१८०,१८२,४४५ सिद्धि [सिद्धि] ओ० ७१,१७२,१६३ सिम्घति शीघ्रगति जी० ३।६८६,१०२० सिद्धिगइ [सिद्धिगति ] ओ० १६,२१,५४,११७. सिग्धगमण [शीघ्रगमन] रा० १७,१८ रा० ८,२६२,७१४,७६६. जी. ३१४५७ सिज्झ | सिध्] ---सिज्झइ. ओ० १७७- सिद्धिभग्ग सिद्धिमार्ग Jओ०७२ सिज्झई. ओ० १९५॥१२-सिति . ओ० सिद्धिमहापट्टणाभिमुह | सिद्धिमहापत्तनाभिमुख ७२. जी० १११३३ --सिज्झिहिंति. ओ० ओ० ४६ १६६- --सिज्झिहिति ओ० १५४ रा० ८१६ । सिप्प [शिल्प ] ओ० ६३. रा० १२,७५८ से ७६१. सिज्झमाण [सिध्यत् | ओ० १८५ ___ जी० ३.११८,११६ सिढिल [शिथिल] २० ७६०,७६१ सिप्पायरिय [शिल्पाचार्य ] रा० ७७६ सिणाइत्तए [स्मातुम् ] ओ० १११ सिप्पि ! शिल्लिन् । ओ० १ सिणेह | स्नेह ] ओ० १६८. जी० ३।२२ सिपि [शुक्ति जी० ३७६३ सिता [स्यात् ] जी० ३।६०,१०६,११८,११६, सिप्पिय शिल्पिक] जी० ३१५६१ १७६,१७८,१८०,१८२.१६५,१६६ सिबिधा [शिधिका] ओ० ५२ सित्त सिक्त] ओ० ५५. जी० ३३५६२ सिय [सित] ओ० ४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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