Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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वज्जुप्पभ-विदेह
७३५ विज्जुप्पभ [विद्युत्प्रभ] जी. ३७४६
जी० ३१३७२,४५७ विज्जुष्पभा [विद्युत्प्रभा] जी० ३।७५१ विणिम्मुयमाण [विनिर्मुञ्चत् ] जी० ३३११८ विज्जुमुह [विद्युन्मुख जी० ३।२१६ विणिवाय [विनिपात ] ओ० ४६ विजयंतरिय [विद्युदन्तरिक] ओ० १५८ विणीत [विनीत] जी० ३१७६५,८४१ विज्जयाहत्ता | तितायित्वा] रा० १२ विणीय विनीत] ओ० ६१. रा० ७६५,७६६, /विज्जुयाय [विद्युताय]-विज्जुयायंति. रा० १२. ७७०,८०४. जी० ३१५६८,७६५,८४१ जी० ३४४७
विणीयया [विनीतता] ओ० ११६ विज्जयार [विद्युत्कार] जी० ३६४४७
विष्णय [विज्ञक] रा० ८०६,८१० विज्सव [वि+ध्यापय् ] -विज्झवेज्जा. रा० ७६५ विण्णव [वि + ज्ञपय]-विष्णवेहि. रा०६६६ विज्झाय [विध्यान ] रा० ७६५
विष्णाण [विज्ञान] ओ० २३. रा० ७५८,७५६, विदुर [विप्टर] जी० ३१५८७
७६५,७६६,७७० विडंग [विटङ्क] जी० ३१५६४
वितण्ह [वितृष्ण] जी० ३३१०६ विडाल [बिडाल ] जी० ३१६२०
विततावितत] रा० २४,११४,२८१. विडिम दे० विटप} ओ० ५,८,५१. रा० २२७,
जी० ३।२७७,४४७,५८८ २२८. जी० ३।२७४,३८६,३८७,५६८,६७२,
विततपक्खि [विततपक्षिन्] जी० १६११३;
२०१० विणइय [विनयित रा० ७२३
वितार [वितार] रा० ७६
वितिक्कत व्यतिक्रान्त ] रा०८०१ विण? [विनष्ट ] जी० ३१८४ विणमिय[विनत] ओ० ५,८,१०. रा० १४५.
वितिमिर वितिमिर जी० ३१५८६ जी० ३।२६८,२७४
वित्त [वित्त] ओ० १४,१४१. रा० ६७१,६७५ विणय [विनय] ओ० २,२३,३८,४०,४७,५२,५६, वित्ति वृत्ति] ओ०६१ से ६३,१६१,१६३.
रा० ७५२,७७६ । ५७,५६,६१,६६,७०,८३,१३६. रा० १०,१४, १८,६०,७४,२७६,६५५,६७१,६८१,६८७,६६२,
वित्थड [विस्तृत ] ओ० ७१. रा० ६१.
" जी० ३८१,८२,८३८:१५,१०७३,१०७४ ७०७,७१६,७३७,७७७,७७८. जी०३१४४५,
वित्थरतो विस्तरतस् ] जी० ३१२५६ ५५५
विस्थार [विस्तार जी० ३.७३ विणयमओ विनयतस् ] स० ६६४
पिस्थिण्ण विस्तीर्ण ओ०१४१. रा० १७,१८, विणयतो [विनयतस् ] जी० ३१५६२
१२४,१२७,७६६. जी. ३१५७७,६६१,७३६, विणयपडिवत्ति [विनयप्रतिपत्ति] रा० ७७६
१०३६ विषयसंपण्ण [विनयसम्पन्न ] ओ० २५. रा० ६८६ विदिण्णविचार [विदत्तविचार] रा० ६७५ विणासण | विनाशन] रा०६,१२,२८१.
विदित (विदित] ओ० २६ जी० ३१४४७
विदिसा [विदिशा] जी० ३।६१८ विणिच्छय विनिश्चय रा०६८९
विदिसीवाय [विदिग्वात जी० ११८१ विणिच्छिय [वि निश्चित ] मो० १२०,१६२. विदपरिसा [विदवत्परिषद ] रा०६१ रा० ६६८,७५२,७८६
विदेस [विदेश] ओ० ७०. रा० ८०४ विणिम्मुयंत विनिर्मुञ्चत् ] रा० ३२,२९२. विदेह [विदेह ] ओ० ६६. जी० २१८६
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