Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 568
________________ मज्झमय-मणिजाल मज्झगय [मध्यगत ] रा० ७३२ मणपज्जक्याण मनःपर्यवज्ञान] ओ० ४०. मजाछिष्णक [मध्यछिन्नक ] ओ०६० १० ७३९,७४४,७४६ मज्झिम मध्यम] ओ० १६५१६. २०० ४३,६६१. मणपज्जवणाणविणय [मन पर्यवज्ञानविनय जी० ३१७७,२३६,६५८,६८१,१०५५ ओ० ४० मज्झिमगेविज्ज [मध्यमग्रे बेय] जी० २०६६ मणपज्जवणाणि [मनःपर्यवशानिन् | ओ० २४. मज्झिमगेवेज्जा [मध्यमवेयक ] जी० ३।१०५६, जी. ११३३; १५६,१६२,१६५,१६६, १६७,२०२,२०४,२०८ मज्झिमिय (मध्यमिक] जी० ३१२३५ से २३६, मणबलिय | मनोबलिक] ओ० २४ २४१ से २४३,२४६,२४७,२४६,२५०,२५४ मणविणय मनोविनय | ओ० ४० से २५६,२५८,३४२,५६०,१०४० से १०४२, मणसमिय | मन समित | औ० १६४ १०४४,१०४६,१०४७१०४६ से १०५३,१०५५ मझिय मध्यक जी० ३१५६७ मणहर | मनोहर ] ओ०७,८,१०. रा० १७,१८, मज्झिल्ल | मध्यम] जी० ३१ ३२५,७२८ २०,३० ४०,७८,१३२,१३५,१७३,२३६. मट्टिया [मृत्तिका] ओ०१८. रा०६,१२,२७६ से जी० ३।२७६.२८३,२८५,३०२,३०५ २८१ जी० ३।४४५,४४६,४४८ मणाभिराम [ मनोभिराम] ओ०६८ मट्टियायाय मृत्तिकापात्र औ० १०५,१२८ मणाम | दे० ओ० ६८,११७. रा० ७५० से मट्ठ [मृष्ट] बो० १२,१६,८७,७२,१६४. रा० २१, ७५३,७७४,७६६. जी० १११३५; ३३१०६०, २३,३२,३४,३६,५२,५६,१२४,१४५,१५७, २३१.२४७. जी. ३:२६१,२६६,२६६,३६३, मणामतराय दे०रा०२५ से ३१, ४५. ४०१,५६६,५६७. जो० ३।२७८ से २८४,६०१,६०२,८६०, मड [ मृत] जी० ३१८४,६५ ८६६,८७२,८७८,६६० मडब मिडन] अं० ६८,८६ से ६३,६५,६६,१२५, मणि मिडि | ओ० २३,४७,४६,५२,६३,६४. १५८ से १६१,१६३,१६८. रा०६६७ रा० १७,१८,२४ से ३३,३७,४०,४५,५१,६५, मड्डय [दे० मड्डक | रा० ७७ ६६,७०,१३०,१३२,१३७,१५४,१६०,१७१, मण मनस् | ओ० २४,३७,४०,५७,६६,७० १७३,१७४,२०३,२२८,२३७,२५६.२६२, रा० ३०,४०,१३२,१६५.१७३,२२८,२३६, ६८७ से ६८६,६९५,८०४. जी. ३।२६५, ७६५,७७८,८१५. जी. ३।२६५,२८३,२८५, २७७ से २८६,३००,३०२,३०७,३०६ से ३०२,३०५,३८७,३६८,६७२ ३११,३३३,३३६,३६०,३६४,३७२,३७६, मणगुत्त [मनोगुप्त ] ओ० २७,१५२,१६४. ३८७,३९६,४१२,४१७,४२१,४५७,५७८, रा० ८१३ ५८७,५८६,५६०,५६३,६०८,६४५,६४८, मणगुलिया [मनोगुलिका] जी० ३१४१२,४१६,४४५ ६५६,६७०,६७२,६६०,७५७ भणजोग | मनोयोग] ओ० ३७,१७५,१७७,१७८, १८२ मणि (पाय) मणिपात्र ] ओ० १०५,१२८ मणजोगि [मनोयोगिन् जी० ११३१,८७,१३३; मणि (बंधण) [मणिबन्धन ] ओ० १०६,१२६ ३३१०५,१५३,११०६; ६११३ ११४,११५, मणिजाल मणि जाल] ग० १६१. जी० ३१२६५, १२० ५६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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