Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 534
________________ पडिपाय-पडिविसज्ज पडिपाय [प्रतिपाद] रा० २४५ ३१६,३२३ से ३२६,३२८ से ३३०,३३३, पिडिपिधा [प्रति + पि+-धा-पडिपिधेइ. जी० ३३४,३३७,३४७,३४८,३५२,३५३,३५५,३६१, ३३५१६ ३६५,३७२,३७७,३८०,३८१,३८३,३८५.३८७, पडिपिधेत्ता [प्रतिपिधाय] जी० ३३५१६ ३६०,३६२,३६३,३६६,४००,४०१,४०४,४०६ पिडिपुच्छ [प्रति-+प्रच्छ ] – पडिपुच्छंति. ओ० ४५ ।। से ४०८,४१०,४१३,४१४,४१८,४२२,४२७, परिपुच्छण [प्रतिप्रश्छन] ओ० ५२. रा० ६८७ ४३७,५८१,५८४,५८५,५६६,५६७,६३२,६३६, पडिपुच्छणा [प्रतिप्रच्छना] ओ० ४२ ६४४,६४६,६४६,६५५,६६१,६६८,६७१,६७२, परिपुच्छणिज्ज प्रतिपृच्छनीय रा० ६७५ ६७५,६८६,७२४,७२७,७३६,७५८,८३६,८५७, पडिपुण्ण [प्रति पूर्ण] ओ० १४,१५,१६,६३,७२, ८६३,८८१,८८२,८६१,८६३ से ८६५,८६७, १२०,१४३,१५३,१६२,१६५,१६६,१७०. ८६८,६०४,६०६,६०७,६११,६१८,१०३८, रा० १३१,१४७,१४८,१५०,१५२,२८०,२८६, १०३६,१०८१,११२१,११२२ ६७१ से ६७३,६६८,७५२,७८६,८०१,८१४. पडिरूवय [प्रतिरूपक | रा०१६.२०,१७५ से १७६, जी० ३।३०१,३२३,३२५,४४६,४५२,५६२, २०२,२३४,२६४. जी० ३१२८७,२८८,३६३, ५६६,५६७,६१० ३९६,५७६,६४०,६४१,६६६.६८४ पडिपुग्णचंद [प्रतिपूर्णचन्द्र ] जी० ३१८६,२६० परिचय [प्रतिरूपक रा० १६,४७,४८,५६,५७, पडिपुग्न [प्रतिपूर्ण] जी० ३१५९६ २७७,२८८,३१२,४७३,६५६. जी०३।४४३, परिबंध [प्रतिबन्ध ] ओ० २८. रा० ६६५,७७५ ४५४,४७७,५३२,५५६ पडिबद्ध प्रतिबद्ध] जी० ३।२२ पिडिलाभ [प्रति+लाभय]-पडिलाभिस्संति. पडिबोहण [प्रतिबोधन] रा० १५ रा०७०४.- पडिलाभेइ. रा०७१६. पडिबोहिय [प्रतिबोधित] ओ० १४८,१४६. रा० -पडिलाभेज्जा. रा० ७७६ ८०६,८१० पडिलामेमाण [प्रतिलाभयत् ] ओ० १२०,१६०. पडिमट्ठाइ [प्रतिमास्थायिन् ] ओ० ३६ रा० ६६८,७५२,७८९ पडिमोयण [प्रतिमोचन] जी० ३२७६,५८१,५८५ पिडिलेह [प्रति + लिख्]—पडिले हेइ. रा० ७६६ पडियाइक्खिय [प्रत्याख्यात ] ओ० ११७ पडिलोम [प्रतिलोम] रा० ७५३,७६७,७६८,७७६, पडिलव [प्रतिरूप] ओ०७,१० से १२,१५,७२,१६४. रा० १,२,१६ से २३,३२,३४,३६ से ३८, पडिवंसग [प्रतिवंशक] रा० १३०. जी० ३१३०० १२४ से १२८, १३० से १३४,१३६,१३७, पिडिधज्ज [प्रति-: पद्—पडिवज्जइ. १४१,१४५ से १४८,१५० से १५३,१५५ से ओ० १८२. रा० ७७५.–पडिबज्जति. १५७,१६०,१६१,१७४,१७५,१८० से १८५, ओ०१५७. ....पडिवज्जिामि. रा०६९५. १८८,१९२,१९७,२०६,२११,२१८,२२१,२२२, --पडिवज्जिमामो. ओ० ५२. रा०६८७ २२४,२२६,२२८,२३०,२३१,२३३,२३८,२४२, २४४ से २४७,२४६,२५३,२५६,२५७,२६१, पडिज्जित्ता [प्रतिपद्य ] ओ० १५७ २७३,६६८ से ६७०,६७२,६७३,६७६,६७७, पडिवण्ण [प्रतिपन्न] ओ० २४,७८,८२,१८२ ७००,७०२,७०३. जी० ३१२३२,२६० से २६३. पडिवत्ति [प्रतिपत्ति] जी० १०; ६१८ २६६ से २६६,२७६,२८६ से २६७,३०० से पडिविरय प्रतिविरत ] ओ० १६१,१६३ ३०४,३०६ से ३०८,३१० से ३१२,३१८, पिडिविसज्ज [प्रति-+-वि+सर्जय्] ७७७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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