Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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११७. रा० ४७,२७७,२८३,२८६,६५७,७९६,
जी०३८४३,४४६,४५२,५५७ पुरत्यिम [पौरस्त्य] ० १६,४२,४४,१२६,१७०,
२१०,२१२,२३५,२३६,२४२,६५.६. जी० ३।३००.३४०,३४५,३५१,३७३.३६७, ३६८,४०४,४४३,४४६,५५६,५६२,५६८, ५७७,६३२,६४७,६६१,६६६,६६८,६७३, ६८२,६६४,६६७,६६८,७०८,७१०,७३६, ७२६,७६२,७६४,७६६,७६८ से ७७०,७७२,
७३,७५३,७७६,८००,८१४,८२५,८५१, ८-२,८८५.६०२,६३६,६४४,१०१५,
पुरथिमिल पोरस्त्य] रा० ४३,५६,२७७,
२८३,२८६,२८८,२६१.२६८,३०३,३०८, ३१६,३२४,३२६,३३२ से ३४३ ३४७ से ३५१.३६५,४१४,४५४,४५४,५१५,५३४, ५७५,५६४,६३५,६१ ६.६५७,६६४. जो०३१३३ से ३५,३३,२१६.२२२.२२३, २२७,४४३,४४५,४५२,४५४,४५३,४६३, ४६,४७३,४८४,४८६,४६४ ४६७ से ५०८, ५१२ से ५१६,५२५,५२६,५३१,५३३,५३६, ५४०.५४६,५४७,५५३,५५६,५५७,५७७, ६६८,६७३,६८६,६६२,६६३,७६८,७७०,
७३२,७४,७७६,७७८,६१० पुरवर वर ! i० १६ जी० ३१५९६ परापरा रा० १८५,१८७. जी०३।२१७,
२६७,२६८,३५८,५७६ पुरिमताल पुरिमताल' ओ० ११५ पुरिस | 'पुरुष ओ० १४,१६,१७,१६,५२.६३,६४,
१६५।१८. रा०८ २८,२६२,६७१,६८१ से ६.३,६८७ सु ६६१ ७००,७०६,७१४ ७१६,५३२.७३५,७३७,७५१,७५३ ते ७५६, ७५८ से ७६२,७६४,७६५,७६८,७६६,७७२, ७७४,७७५,५६७,७८८. जी० २.१,७५ से ८६० से ३,९५,९६,६८,१४१ से १५१;
पुरस्थिम-पुन्व ३११२७१५,१४८,१४६,१६४,४५७ पुरिसक्कार [पुरुषकार ओ० ८६ से १५,११४,
११७,१५५ १५७ से १६०,१६२,१६७ पुरिसपुंडरीय [पनपपुण्डरीक] ओ० १४.
ग०६३१ पुरिसलक्षण पुमालक्षण | ओ० १४६.
ग० ८०६ पुरिलिगसिद्ध | (रुषलिङ्गसिद्ध जी० १०८ पुरिसवग्ध युध्यमान ओ० १४. रा० ६७१ पुरिसवर पुरुषवर ओ० १४. रा० ६७१ पुरिसवरगंधह स्थि । सुरुषवरगन्धहस्तिन् | ओ. १४,
१६,२१,५४. : ० ८,२६२,६७१ जी. ३.४५७ पुरिसवरपुंडरीय [ 'पुरुषवरपुण्डरीक ओ० १६,२१,
५४. रा ८,२६२. जी. ३१४५७ पुरिसवेद | जी० १।१३६; २।६७,६८;
१२३,१२७ पुरिसवेदग [ पुरुषवेदक ] जी० ६.१३० पुरिसवेय पुरुषवेद ] जो० ॥२५ परिसवेयग [पुरुपवेदक ] जी० ६।१२१ पुरिससोह [पुरुषसि | ओ० १४, १६, २१, ५४.
रा० ८, २६२, ६७१. जी० ३।४५७ पुरिसासीविस [पुरुषाशीविष] ओ० १४. रा० ६७१ परिसुत्तम [पुरुषात्तम रा०८ पुरिसोत्तम पुरुषोत्तम ! ओ० १६,२१, ५२, ५४.
रा० २६२. जी० ३४५७ पुरोवग [पुरंपग ओ० ६, १० पुलंपुल [दे० ओ० ४६ पुलग पुलक आ० ८२. रा० १०,१२, १८, ६५,
१६५, २७६ पुलय (पुलक | जी०३१७ पुलाकिमिय | पुलाकृमिक | जी० श६४ पुलिंदी मुनिन्दी | ओ० ७०. रा. ८०४ पुलिण ! लिन] र६० २४५. जी० ३।४०७ पुष [पूर्व | ओ० ७२, ११६, १५६, १६७,१८२.
रा० ४०, १३२,१७३,६८५,७७२.
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