Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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६६८
८३८१७ से 8
पंथ [ पन्थ, पथिन् ] To ७३७ पंथिय [ पायिक ] रा० ७८७,७८८ सुविट्ठि [पांशुवृष्टि ] जी० ३१६२६ पकडिज्ज माण ( प्र कृष्यमाण ] ओ० १६ √ पकर [ प्र + कृ ] - पकरेंति. ओ० ७३. जी० ३११२४.-- पकरेति. जी० ३।२१० पकरेत्ता [ प्रकृत्य ] ओ० ७३ पकरणता | प्रकरण ] जी० ३।२१० पकरणया [ प्रकरण ] जी० ३।२११ पकाम [ प्रकाम रा० ७३२,७३७ पकामरसभोइ [प्रकामरसभोजिन् ] ओ० ३३ पकार [ प्रकार ] जी० २६८ ३३५६५ पक्कारवग्ग [ पकारवर्ग ] रा० ६६ पक्कणी [ पक्कणी ] ओ० ७०. रा० ८०४ पक्कट्ट [ पक्वेष्टक ] जी० ३१८४५ पक्कीलित [ प्रक्रीडित] जी० ३।६१७ पक्कीलिय [ प्रक्रीडित] रा० १७३. जी० ३१२८५ पक्ख [ पक्ष | ओ० २८. रा० १३०, १६०, १६७. जी० ३१२६४, २६६, ३००,८४१ पक्खंदोलग [ पक्ष्यन्दोलक, ' पक्षान्दोलकर ] रा० १८० पगतित्थ [ प्रकृतिस्थ ] जी० ३।११२१ से ११२३
पगति [ प्रकृति ] जी० ३।२८६ ५१८, ६२०,७६५, ८१६,८४१,८५४,६५६, ६५७,६६४
जी० ३।२६२,८५७
पगन्भ [ प्रगल्भ ] जी० ३५६१
पक्खंदोलय [ पक्ष्यन्दोलक, पक्षान्दोलक ] रा० १५१. पगाढ [ प्रगाढ ] रा० ७६५. जी० ३ ११०
जी० ३।२६३, ६५७
पाय [ प्र + गै] - पगाइंसु. रा० ७५
पगार [ प्रकार ] रा० ८०६,८१० जी० २१७४, १४०, १५१
पगास [प्रकाश] ओ० १३,१६,२२,४७. रा० १३०, २५५,६७०,७७७,७७८,७८८. जी० ३।३००, ४१६,५८६,५६६,५,६७
गिज्ज्ञ [ प्रगृह्य ] रा० ६६४ पक्षिय [ प्रगृह्य ] ओ० ११६
it | गीत] ०७६,१७३. जी० ३।२८५ √ पण्ह [ प्र + ग्रह ] - पगेहति रा० २८८ पगेण्हित्ता | प्रगृह्य ] रा० २८८ परहित्तु [ प्रगृह्य ] जी० ३।४५७ पाहि [ प्रगृहच ] ओ० ६७. रा० २६२
पुडंतर [ पक्षपुटान्तर] रा० १६७
पखपेरंत [ पक्षपर्यन्त ] रा० १६७. जी० ३।२६६ पाहा [ पक्षबाहु ] रा० १३०,१६०, १६७ जी० ३।२६४, २६६,३००
/ पखाल [ प्र + क्षालय् ] - पक्खालेइ रा० ३५१. पखालेति रा० २८८. जी० ३।४५४
१. यत्र तु पक्षिण आगत्यात्मानमन्दोलयन्ति ते पक्ष्यन्दोलका: [ राय० बु० ] | २. 'गिरिपक्खंदोलया' गिरिपक्षे पर्वतपार्श्वे छिन्नटङ्कगिरी वात्मानमन्दोलयन्ति ये ते तथा [ओ० वृ० ] |
पंथ- पग्गहिय
खाण [ प्रक्षालन ] ओ० १११ से ११३, १३७,
१३८
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पखालिय [ प्रक्षालित] ओ० ६८ पक्खालेता [ प्रक्षाल्य ] रा० २८८. जी० ३३४५४ पक्लासण [ पथ्यासन, पक्षासन] रा० १८१, १८३. जी० ३३२६३
पक्खि [पक्षिन् ] रा ६७१,७०३, ७१८. जी० ११०१ ३२८८, १६५,७२१ v पक्खिय [ प्र + क्षिप् ]
पविखवइ जी० ३/५१६. - पविखवेज्जा. जी० ३११०६
पक्खिव ( प्र + क्षेपय् ] पविखवावेमि. रा० ७५४ पक्खिवित्ता [ प्रक्षिप्य ] जी० ३।५१६ पक्खुभित [ प्रक्षुभित] जी० ३१८४२,८४५ क्युभय | प्रक्षुभित | ओ० ४६,५२, रा० ६८७ rs [ प्रकृति ] ओ० ७३,६१,११६. रा० १७४, २३३. जी० ३८६२५
ठग [ प्रकण्ठक ] रा० १३७, १४६. जी० ३३३०७, ३५५
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