Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
णच्वंत-णव
मच्चंत [नृत्यत् ] ओ० ६४
णमिय [नमित] जी० ३।३८७,५६७ गच्चण [नर्तन] ओ० ४६
णमेत्ता [नमयित्वा] जी० ३।४५७ पट्ट [नाट्य ] ओ० १४६,१४८,१४६.
णमो नमस् ] ओ० २१. रा० ८१७. जी० ३।६३१,१०२५
___ जी० ३१४५७ गट्टग [नाट्यक ] ओ० १,२
गय [नत ] रा० २४५.६६४. जी० ३।४०७,५६२ गट्टगपेच्छा [नाट्यकप्रेक्षा] ओ० १०२,१२५
णयण नियन] ओ० १९,२१,४७,५४. रा०८. गट्टपेच्छा [नाट्यप्रेक्षा] जी० ३१६१६
७१४. जी० ३।३८७,५६७ गट्टमाल [नृत्तमाल जी० ३।५८२
णयणकीयरासि [नयनकीकाराशि) ओ० १३ पट्टविधि [नाट्यविधि] जी० ३१४४७
णयणुप्पांडियग [उत्पाटितकनयन] ओ०६० गट्टविहि [नाट्यविधि | रा०७३,८१ से ६५,१०० गयर [नगर ओ० २८,२६,६८,८६ से ६३,९५,
से १११,११३,११६,२८१. जी० ३।४४७ ६६,११५,११८,११६,१५५,१५८ से १६१, णट्टसम्ज [नाटयसज्ज] रा० ७६,१७६
१६३,१६८ णसाला नाटयशाला] रा० ७८१,७८३,७५६, णयरगुत्तिय [नगरगुप्तिक] ओ० ६०,६१ ७८७
णयरी [नगरी] ओ० २,१४,२० से २२,५२,५५, भट्टाणिय [नाटयानीक] रा० ४७,५६
६० से ६२,६७,६८,७०. रा० १०,१३,६८७ ण नष्ट] रा० ६,१२. जी० ३३४४७
से ६८६,७००,७०३,७५०,७५३ णमेच्छा [नटप्रेक्षा] जी० ३१६१६
णर [नर ओ० १३,४६. रा० १२६,१७३,६८१, णतय [नप्तक] रा० ७५० से ७५३
७५३. जी० ३१२८५,२८८,३११,३१८,३७२ त्यिभाव [नास्तिभाव] ओ० ७१
फरक नरक] जी० ३१७८ से ८१,८४ गदिमह [नदीमह] जी० ३६६१५
ण रकंठक [न रकण्ठक] जी० ३१३५५३ ण पुंसग [नपुंसक जी० १३१२८ ; २११ ; ३३१४८, जरग नरक ओ०७४।१,३. जी० ३११२,७७, १४६,१६४
८५ से १७,१२७ णपुंसगवेय [नपुंसकवेद] जी० १०२५,१०१
णरपवर [नरप्रवर] ओ० १४ णपुंसगवेयम नपुंसकवेदक] जी० १८६ णरय नरक] ओ०७४. जी० ३७७,५५,११७ णम [नम्]-णमेइ. जी. ३१४५७
से ११६ णमंस [नमस्य }---अमंस इ. ओ० २१-णमसति. परवइ [नरपति ] ओ० १,२३,६३,६५
ओ० ४७. रा०६८७. जी. ३।४५७ णरक्सभ [नरवृषभ ओ० ६५ —णमंसति. रा० ८......णमंसह. रा०६ परसीह [नरसिंह] ओ०६५ -णभंसामो. ओ० ५२. रा०१०
परिद [नरेन्द्र ] ओ० ६५ --मंसेज्जा . रा० ७७६
णलागणि [नलाग्नि ] जी० ३.११८ णमंसण [नमस्यन ओ० ५२
जलिण नलिन | रा० २३,१६७,२७६,९८८. णमंसमाण [नमस्यत् ] ओ० ४७,५२,६६,८३. जी० ३।११८,११६,२५६,२८६,२६१,८४१ रा०६०,६८७,६६२,७१६
पलिणी [नलिनी] ओ० १. रा० ७७७,७७८, णमंसित्तए [नमस्थितुम् ] ओ० १३६ णमंसित्ता निमस्यित्वा] ओ०२१. रा०८ णव [नवन् ] ओ० १४३. रा० ८०१. जी० ३४५७
जी० ११०
७८८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639