Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 499
________________ णाभि-णिग्गय णाभि नाभि | ओ० १६. जी० ३।४१५,५६६, णि उण [निपुण] ओ० १५,४६,६३. रा० १२,१७, ५६७ १८,७५८,७५६,८०८,८१०. जी० ३।११६, णाम [नामन् ] ओ० १४,१५,२०,४४,५२,५३,८२, ५८८,५६२,५६७ १४४,१७१,१६२,१६५५१६. रा०११,१७, जिओग निमोद | जी० ५१३३ १८,७६,८१,८३ से ६५,१०० से १११,११३, णिओत [निगोद जी० ५।१६ २८१,६६६ से ६७२,६७५,६८७,७१३,७५१, हिओद [निगोद] जी० ५२८ से ३०,३७,३८,४१ ८०२. जी. ११३१३,४,१२८,२१७,२१६ से ४३,५०,५२,५६ से २२३,२२५,२२७,२६०,३००,३५०,३५१, णिोदजीव [निगोदजीव ] जी० ५।३७,५३,५८ से ४०१,५६६,५६८,५६६,५७७,५८२,५८६ से ५६२,५६५,६३२ ६३८,६३६,७००,७०१, णिकरिय निकरित] ओ०१६ ७०४,७०८,७१०,७११,७३६,७४०,७४२, णिकाय निकाय] ओ० ४६ ७४५,७५०,७५४,७६१,७६२,७६५,७६६, णिकरंब [निकुरम्ब] ओ० ४. रा० १७०. ७६८ से ७७०,७७२,७७५ से ७७८,७६५, ___ जी० ३१५९६ ७६६,८००,८१०,८१४,८२१,८२५,८२६, णिक्कंकड निष्कङ्कट] जी० ३.२६१,२३६ ८४८,८५६,८५६,८६२,८६५,८६८,८७१, णिक्कंखिय | निष्काङ्क्षित] ओ० १२०,१६२. ८७४,८७७,८८०,६२५,६२७ स ६३२ रा०६६८,७५२,७८६ ६३८ से १४१,६४३,६४४,९७२,१०३६, मिक्खित्तउक्खित्तचरय निक्षिप्त उत्क्षिप्तचरक] ओ० ३४ णामक | नामाङ्क] ओ० ५० णि क्खित्तचरय [निक्षिप्तचरक ] ओ० ३४ मामधेज्ज [नामधेय ] ओ० १६,२१,५१,५४, णिक्खड [निष्कुट ] रा० १४ १४४,१६३. जी० ३१३५०,६६६,७०२,७६०, णिगर [निकर] रा० १३०. जी० ३१३००,५६०, ५६७ णामधेय [नामधय } ओ० ११७. रा० २६२. णिगरण निगरण] जी० ३१५८६ जी० ३१४५७ णि गरित निकरित जी० ३६५६७ णामय नामक रा०६६७. जी. ३१७७५ णिगलमालिया [ निगडमालिका ] जी० ३१५६३ णाय |ज्ञात ओ०२. रा०६८८ इणिगिण्ह [नि !-ग्रह --णिरिहाइ रा०६६३ णाय । ज्ञात, नाग ओ०२३ णिगोदजीव [ निगोदजीव जी० ५१५६ णायव ज्ञातव्य रा० १७२ णि वर्गथ (निम्रन्थ । ओ० २५,३३,७२,७६. णाराय [ नाराच जी० ३।११० रा०६६८,७४८ से ७५०,७५२,७८९ णारी नारी] जी० ३१२८५ णिग्गंथी [निन्थी] ओ० ७६ णालबद्ध नालबद्ध जी० ३।१७४ :णि गच्छ निर --गम् |-णिग्गच्छइ, रा० ६९. णालिएरिवण नालिकेरीवन जी० ३१५८१ जी० ३।४४३...णिगच्छति. ओ०५२. णालियाखेड नालिकाखेल ओ० १४६. २०६८७. जी० ३।४४५ रा० ८०६ णि ग्गच्छित्ता निर्गत्य] ओ० ५२. रा० ६८७. णासा (नासा ओ० १६,४७. जी०३:५६६,५१७ जी० ३।४४३ जासिया नासिका जी० ३१४१५ जिग्गय [निर्गत] ओ० ६३. रा० ७५४,७५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639