Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 522
________________ ६६० धार [ धारक ] मो० ६७ धारणा [ धारणा ] १० ७४०, ७४१ धारि [धारिन् ] ओ० ४७,५१,७२. जी० ३।५१७, १०१५ धारिणी [ धारिणी] ओ० १५. रा०५ धारित [ धारयितुम् ] ओ० १०५ धारेमाण [ धारयत् ] रा० २५५. जी० ३।४१६ fus [ धृति ] ओ० ४६ जी० ३१११५ घिति [ धृति ] जी० ३।११८,११६ धीर [ धीर] ओ० ४६ घुरा [ धूर् ] ओ० ६४ घुराग [ धूक ] रा० १७३,६८१. जी० ३।२८५ ध्रुव ध्रुव ] रा० २०० जी० ३३५६, २७२,३५०, ७६० धूमकेतु [ धूमकेतु] ओ० ५० धूमप्पभा [ घूमप्रभा ] जी ०३।४१,४३,४४,१०१, ११०,११४ धूमवट्टि [ धूपर्वात ] जी० ३।४५७ धूमिया [ धूमिका ] जी० ३।६२६ धूया [दुहित ] जी० ३३६११ धूलि [ धूलि ] जी० ३१६२३ धूव [ धूप ] ओ० २,५५. ० ६, १२,३२,१३२, २३६,२५८,२७६,२८१,२६०,२६२ से २६७, ३००,३०५,३१२,३५१,३५५, ३५६. जी० ३३०२,३७२,३६८, ४१९, ४४५, ४४८, ४५६ से ४६२, ४६५, ४७०, ४७७, ५१६, ५२०,५५४, ६७६,६०८ धूवघडिया [ धूपघटिका ] रा० २३६. जी०३ ३८, ४१२,६०३ धूवघडी [ धूपघटी ] रा० १३२. ३१३०२ धूववट्टी [ धूपदत] रा० २६२ पोत [धीत ] जी० ३,५६६ घोय [ धौत ] ओ० १६,४७. १० २६. जी० ३१२८२,५६० Jain Education International धारग-रग रगुण न न [न] ओ० ४७. रा० २०० जी० ३।२७२ नई | नदी ] ओ० ६६. जी० ३१७७५ नईम | नदीमह ] ०६८ नल [ नकुल ] रा० ७७ नंगलिय [ लाङ्गलिक | ओ० ६८ नंदणवण [ नन्दनवन । रा० १७३,६७०. जी० ३1२८५,५६७ नंदा बन्दक] ० २८२. जी० ३।४४८ नंदा | नन्दा | रा० २३३,२७३, २८८,३१२,३५०, ६५६. जी ३५५६ नंदाचं पाविभत्ति [ नन्दाचम्पाप्रविभक्ति । रा० ६३ नंदापविभत्ति [ नन्दाप्रविभक्ति ] रा० ६३ fare [नन्दिघोष ] १० ७७,१७३,६८१. जी० ३५६८ नंदिमुयंग [ नन्दिमृदङ्ग [ जी ३७८ नंदियावत्त | नन्द्यावर्त ] ओ० १२. रा० २६१ नंदि [ नन्द्रिरूक्ष ] जी० ३३८८ से ३६० नंदिस्सर [नन्दस्वर ] जी० ३२५६८ नंदी] [ नन्दी ] रा० ७४१,७४३ नंदीमुइंग | नन्दी मृदङ्ग ] रा० ७७ नंदी [ नन्दीमुख ] जी० ३।२७५ नंदीसरवर [ नन्दीश्वरवर | रा०५६ नक्कणिग [छिन्नक] ओ० ६० नक्ख [ नख] २५४ नक्खत्त [ नक्षत्र ] रा० १२४. जी २२१८३/७०३, ७२२,८३०, ८३८३, ५, ८, ११, १३, २२,३०, १००७ विमाण [ नक्षत्रविमान ] जी० २२४३; ३११००६ वेदा [नवेदना ] जी० ३।६२८ नम [ नग ] जी० ३५६६ नगर [ नगर ] ओ० १८. रा० ६६७,७५४,७५६ ७६२, ७६४,७७४. जी० ३१५६६ नगरगुण ! नगरगुण] ओ० १६५/१६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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