Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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जायकम्म-जियपरीसह
६२६
जायकम्म [जातकर्मन] ओ० १४४
जावतिय [यावत् । जी० ३.९७२,६७३ जायकोउहल्ल जातकोतहल्ल] ओ ८३
जावय [जापक] ओ० २१,५४. रा. ८,२६२. जायम । जातक] ओ० १४५. रा० ८०५
जी० ३१४५७ जायत्याम जातस्थामन्] रा०८१३
जासुअण [जपासुमनस् । रा० २७ जायरूप | जातरूप] ओ० १४,२७,१४१. रा० १०, जासुयण [जपासुमनस् | जी० ३१२८०,५६० १२,१८,६५,१३०,१६५,२२८,२७६,६७१,
जाहिया | जाहिका] जी० २१६ ८१३. जी. ३१३००,६७२
जाहे ! यदा ] रा० ७७४. जी० ३.८४३ जायरूप पाय] [जातरूपपात्र] ओ० १०५, जिइंदिय जितेन्द्रिय] ओ० २५,४६,१६४ १२८
जिण [जिन ] ओ० १६,२१,२६,५१,५२,५४,१७२. जायरूव बंधण] [जातरूपबन्धन] ओ० १०६, रा०८,१६,२२५,२५४, २६२,७७१,८१५,
८१७. जी० ११:३३३८४,४१५,४४२,४५७, जायसवमय [जातरूपमय] रा० १३०,१६०, जी०
८३८।१,८६६,९१७
जिण [जि]-जिणाहि. ओ० ६८. रा० २८२. जायसंसय जातसंशय] ओ०८३
जी० ३।४४८ जायसड्ढ जातश्रद्ध] ओ० ८३
जिणपडिमा [जिनप्रतिमा ] रा० २२५,२५४ से जाया जाता] जी०३:२३५,२३९,२४१
२५८,२७,२६१,३०६ से ३०६,३१७ से जार [जार] रा० २४. जी० ३३२७७
३२०,३४४ से ३४७. जी० ३१३८४,४१५ से जारापविभत्ति [जारकप्रविभक्ति] रा०६४
४१६,४४२.४५७,४७१ से ४७४,४८२ से जारिसय यादृशक रा० ७७२
४८५,५०६ से ५१२,६७६,८६६,६०८ जाल [जाल] ओ०१६,६३,६४. रा० १७,१८..
जिणमय [जिनमत ] जी० १११ जी० ३१८४,५९६
जिणवर [जिनवर] ओ० ४६. रा० २६२. जी० जालंतर जालान्तर] रा० १३७. जी० ३१३०७
३।४५७ जालकडग [जालकटक] रा० १३४. जी० ३।३०४ जिणसकहा दे० जिण 'सकहा ] रा० २४०,२७६, जालकडय [जाल कटक] जी० ३।२६२ __ ३५१. जी० ३,४०२,४४२,५१६,१०२५ जालघरग | जालगृहक ] रा० १८२,१८३. जी० जिणिव [जिनेन्द्र ] रा० ४७ ३।२७५,२६४
जित [जित] जी० ३।४४८ जालपंजर | जालपञ्जर] रा० १३०. जी० ३१३०० जितिदिय [जितेन्द्रिय] रा०६८६ जालवंद जालवृन्द] जी० ३१५६४
जिभछिण्णग [जिह्वाछिन्नक] ओ०६० जालहरय जलिगृहक ] ओ०६
जिन्भिंदिय | जिह्वन्द्रिय] ओ० ३७ जाला | ज्वाला जी०११७८; १९८३१८५, जिमिय [निमित १० ६८५,७६५,८०२ ११८, ११६,५८६
जिय [जित ] ओ० ६८. रा० २८२,६८६. जी० जाव [यावत् । ओ०६०. रा० १ जी०१२३४
३४४८ जावइय | यावत् ) जी० ३:१७६,१७८,१८०,१८२ जियकोह [जितक्रोध ओ० २५. रा० ६८६ जावं [यावत् ] जी. ३८४१
जियणिद्द [ जितनिद्र] ओ० २५. रा० ६८६ जावज्जीव यावज्जीव ओ०११७,१२१,१३६, जियपरीसह जितपरीषह] ओ० २५. रा.
१६१,१६३
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