Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 449
________________ उठिबद्ध ऊसास उष्विवृष [ उद्विद्ध ] ओ० १ उध्वेग [ उद्वेग ] जी० ३ ॥ ६२८ उब्वेष [ उद्वेध ] जी० ३१७३६, ७६४,६००,१०१, १०,६११ उब्वेह [उद्वेध] रा० २२७,२३१,२३३,२३६,२४७, २६२. जी० ३३८६, ३६३३६५, ४०१, ४२५, ६३२,६३६, ६४२,६५३,६६१, ६७२, ६७६, ६८३,६८६,७२३, ७२६,७८८, ७१४,७६५, ८३६,८८२,६१५ उसड्ड [उत्सृत] रा० १८० उड्डय उत्सृतक ] रा० १८१ उसत | उत्सक्त ] ओ० २,५५. रा० ३२,२८१,२६१, २१४,२६६,३००,३०५,३१२,३५५. जी० ३।३७२,४४७,४५६, ४६१, ४६२, ४६५, ४७०, ४७७,५१६,५२० उसभ [ ऋषभ, वृषभ ] ओ० १३,१६,५१. रा० १७० १८,२०,३२,३७,१२६, १४१,१६२. जी० ३२७७,२८८,३००३११,३१८,३७२,५६३, ५६५ से ५६७ उसभकंठ [ ऋषभकष्ठ ] रा० १५५, २५८. जी० ३।३२८ उसभकंग ऋषभकण्ठक । जी० ३:४१६ उसभज्य [ ऋषभध्वज | रा० १६२. जी० ३।३३५ उसभनाराय [ ऋषभनाराच ] जी० १।११६ उसभमंडलपविभत्ति | ऋप भमण्डलप्रविभक्ति ] रा० ६१ उसमा [ ऋषभा ] रा० २२५. जी० ३।३८४, ८९६ उसिण [ उष्ण ] जी० ११५: ३१२२, ११२ से ११५, ११६ उसिणभूत [ उष्णीभूत ] जी० ३।११६ उसिभूय | उष्णीभूत ] जी० ३।११६ वेद | उष्णवेदना ] जी० ३।११२,११४, ११८ उसवेवणिज्ज | उष्ण वेदनीय ] जी ३११८ उसिणोदय [ उष्णोदक ] जी० १२६५ Jain Education International ५८७ उसिय [ उत्सृत ] रा० १३२. जी० ३।२०२ उसीर [ उशीर ] रा० ३०. जी० ३।२८३ उसु [ उषु ] रा० ७५६. जी० ३१६३१ उसण [ दे० ] बाहुल्यतः भ० ८७. जी० ३३९६४ उस्सप्पिणी [ उत्सर्पिणी ] जी० १ १३६, १४०; २८८, १२०, ३६०, १६५, ८४१, १०८५ ५८, ६,२३, २६; ६ २३,४०, ६७,२५७ उस्सप्पिय [ उत्सर्पित ] जी० ३।५५६ उस्सविय [ उच्छ्रित ] रा० ७५० से ७५३ उस्सास [ उच्छ्वास ] ओ० १५४, १६५, १६६. To ७७२,८१६. जी० ३।१२८ उस्सासत्त | उच्छ्वासत्व ] जी० ३।१०६६ उस्सिय [ उच्छ्रित ] जी० ३१६६६ उस्य [ उत्सुक ] ओ० ५१ उस्सेष [ उत्सेध ] जी० ३१६७६,७८६,७९५,८१६ उस्तेह [ उत्सेध ] ओ० १३,८२. रा० ६, १२, १३०, २२५.२५४,२७६. जी० ३।३००, ३८४, ४१५, ४४२,७८६,७६४ ऊ ऊण [ऊन ] रा० १८८. जी० २५७,६१,७३३.५, ३४,३६,४१,४३,४४,५६७, ४ । ६ ; ५७, २८; ७३, ५, ६, १०, १२, १५, १७ ६१२ से ४,४०, ५१, १७१,२३४,२३६,२३८,२४३,२६६,२७१, २७३,२७६,२८१ अग [ ऊनक ] जी० (३०,३१,५८ से ६०, १३६; _३१२१८,६२ε ऊणय [ ऊनक ] ओ० ३३. जी० २/३२ से ३४ कणिया [ऊनिका ] ओ० १६५३६ ऊरु [ ऊरु ] ओ० १६. रा० १२,२५४, ७५८, ७५६. जी० ३।११८, ४१५,५६६ से ५६८ ऊरुजाल | ऊरुजाल | जी० ३१५६३ ऊसड | उत्कृत ] जी० ३१२६२ ऊसविय [ उच्छ्रित] मो० ६७ ऊसास [ उच्छ्वास ] ओ० ११७. रा० ७६६. ३११२७३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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