Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 450
________________ ५८८ ऊसासत्त-एगत्त ४५५ ऊसासत्ता | उच्छ्वासता] जी० ३।६७ एक्केक्क [एकेक] जी० ३१६६७ ऊसित | उच्छित जी० ३१२१८,३०७,३५५,६३४, एक्शेक्कय एकक | जी० ३१८३८।४ ६४२,७५४,७६२,७६८.७७०,७७२.१००८ एक्कोणवीसति | एकोनविंशति ] जी० ३.५७७ ऊसितोदग | उच्छ्रितोदक] जी० ३.७८३,७८४ एक्कोदक [एको दक] जी० ३.७६५ ऊसिय उिच्छित ] अ.० ४६,५५,६४,१६२. एक्कोदगएकोदक | जी० ३७६५ र।० ५०,५२,५६,१३७,१८६,२०४ से २०६, एग एक ओ० १६. २४० ३. जी० ११० २०८,२८१,७७४,७८६. जी०३३५९,३६४, एगडय एकक] ओ० २३.४५,५२.७८.८६.१४०, ३६८ से ३७१,४४७,५९७,५६८,६५३,६७३, १५६,१६५,१६६, रा० १६,१७४,२८१,६८७, ७५४,७६२,७६६ ६८६. जी० १९६,११६, ३१८६,१०४,४४७, ऋग्छज्य [ ऋ क्षध्वज ] र:० १६२. जी० ३३५ एगओ एकतस् ] रा०८४,१७३ एमओखह [एकत:खह] रा० ८४ एइय [एजित] रा० १७३. जी० ३१२८५ एगओचक्कवाल [एकतश्चक्रवाल] रा० ८४ एऊणपण्ण एकोनपञ्चाशत् ] जी० ३।८३२ एगओवंक (एकतोवक्र] रा० ८४ एक [एक ] जी० १.७२ एगंत एकान्त ] ओ० ११७. रा० ६,१२,१५, एकत्त [एकत्व ] जी० ३।११० एकत्तीस एकत्रिंशत् जी० ३.६३४ एगंतवंड एकान्तदण्ड] मो०८४,८५,८७ एकाणउति [एकनव त] जी० ३.८१२ एगंतबाल एकान्तबाल ] ओ० ८४,८५,८७ एकावलि [एकादलि] जी० ३१४५१ एगंतसुत्त एकान्तसुप्त] ०८४,८५,८७ एकासीइ [एकाशीति] जी० ३१७०६ एगखुर | क त्रुर] जी० १११०३,१२१:२१६ एकासोति [एकःशःति | जी० ३ ७६४ एगगुण एक गुण जी० ११३५,३७,४० एकाह [एकाह) जी० ३ १७६,१७८,१८०,१८२ एगाग | एक रा० १५ एकूणवीसतिकोनविंशति । जी० ३.५७७ एगच्च एकाचं] ओ० ७२,१६७ एकोवग |एकोदक) जी० ३७९५ एगच्चाओ एकस्मात् ] ओ० १६१ एक्क [एक] ओ० ३. रा०४. जी. २।४८ एगजायजातओ० २७. रा ८१३ एक्कतीस |एकत्रिंशत् ] ओ० ३३. रा०२०७. एगजीव । एकजीव | जी० ११७२ जी० ३६१ एगजोविय एकजीविक] जी. ११७२ एक्कवीस [एकविंशति ] जी० ३१७३६ एगट्ट । एष्टि ] जी० ३१७६८ एक्कार एकादशन् ] जी० ३ १००२ एगट्टिय एकास्थिक जी० १७०,७१ एक्कारस एकादशन्। रा० १७३. जी० ३१२८५ एगतिय कक] रा० १७४,१८५,२८१,२८६, एक्कारसम [एकादश] ओ० १४४. रा०८०२ २६०,६८,६५६. जी० ११३३, ३.८६, एक्कारसमासपरियाय [एकादशमासपर्याय) १०८,१५६,१७८.१८०,१८२,२८६,२६७, ओ०२३ ४४७,५७५,५७६,७१९,७२०,८०६,८०७, एक्कासीत [एकाशीति ] जी० ३१६३२ ८५७,१०८० एक्कासीय [एकाशीति ] जी० ३.२२६।४ एगतो [एकतस् ] रा० २७६. जी० ३।२८५,४४५ एक्किक्किय [एकैकक] 1० ८२ एगत्त एकत्व | जी० ३.११०,१११५,१११६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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