Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 448
________________ ५८६ ११२८,११३० उबवत्त [ उपपत्तृ] ओ० ७२,८६ से १५, ११४, १५५,१५७ से १६०,१६२,१६७ उबवन्नपुब्ध [ उपपन्नपूर्व ] जी० ३।१२७ उबवत [ उपपात ] जी० १।१२८ ३३८८,८४४, ८४७,८५६,८८०, ६४६, १०८२ उववातसभा [ उपपातसभा ] रा० २७४. जी० ३।४३६ उथवाय [ उपपात ] ओ० ८ से ६५, ११४,११७, १५५,१५७ से १६०,१६२,१६७. रा० ८१५. जी० १११४,५१,५९,६५.७६, ८२, ८७,६६, १०१,११६,१३३,१३६ ३ १२७/३, १२९/६, १६० उववायसभा [ उपपातसभा ] रा० २६०,२६२, २६६,२७७,४१४ से ४१६, ४३५, ४५३, ४५४, ७६६. जी० ३१४२१,४२४, ४२५, ४४३,५२६ से ५३१ उदविणिग्गय [ उपविनिर्गत ] जी० ३।२७४ उवविस [ उप + विश् ] -- उवविसइ. रा० ७४८ -- उब विसामि रा० ७४७ उवयेत [ उपपेत ] जी० ३।६०१,६०२,८६०,८६६, ८७२,८७८ उववेय [ उपपेत ] मो० १, १५, १४३. रा० ६६,७०, १७३,६७२,६७३, ६७५,८०१. जी० ३ २८५, ५८६ से ५६६ वसंत [ उपशान्त ] ओ० ६१. ० ६, १२,२८१. जी० ३।४४७,७६५, ८४१ उवसंतथा [ उपचान्तता ] ओ० ११६ उवसंपज्जित्ताणं [ उवसंपद्य ] ओ० ३७. रा० ६६६. जी० ३।८४३ उवसग [ उपसर्ग ] ओ० ११७,१५४, १६५, १६६. रा० ७०३, ७६६,८१६ उवसम [ उपशम ] बो० ७६ से ८१ उवसम [ उप + शम् ] - उवसमंति रा० १२ - उवसामंति रा० १२ Jain Education International -उव्वग्ग उवसमिता [ उपशम्य ] रा० १२ उवसामिला [ उपशाम्य ] रा० १२ उबसोभित [ उपशोभित] जी० ३।२६५,३०२, ३४६ उसोभय [ उपशोभित] ओ० ६४. रा० २४,४०, _५१,१२८,१३२,१६५, १७१,२३७. जी० ३३०६, ३५३,३५७,३६० उवसोमेमाण [ उपशोभमान ] रा० ४०,१३२, १३५,१६१,२३६,७८२. जी० ३।२६५,३०२, ३०५,३१३,३६८,५८०, ५८१ rator [ उपशोभित] जी० ३।२७७ उवस्य [ उपाय ] रा० ७१६ उवहाण [ उपधान ] ओ० ३० उहिविसग्ग [ उपधिव्युत्सगं ] ओ० ४४ √ उवागच्छ [ उप + आ + गम् [ – उवागच्छइ. ओ० २०.०० ४७. जी० ३।४५७ - उवागच्छति ओ० ५२. रा० १०. जी० ३।४४२ – उवागच्छति रा० १४. जी० ३।४४३ - - उवागच्छामि रा० ७५४ वागच्छत्ता | उपागम्य ] ओ० २०. रा० १०. जी० ३० ४४२ उवाग [ उपागत ] ओ० १६,२० उवा [ उपाय ] ओ० १५२ उवायण [ उपायन] रा० ७२०, ७२३ V उवालंभ [ उप + आ लम् ] -- ज्वालब्भइ. रा० ७६७ उवाल भिता [ उपलभ्य ] रा० ७६७ उवा सगदसाघर | उपासकदशाधर] ओ० ४५ / उबे [ उप + इ ] – उवेइ ओ० ११५. – उवेंति. ओ० ७४. जी० ३३६०३ उट्टणा [ उद्वर्तन! ] जी० ११६६; ३३१२१,१२७ ५,१५६; ६३१1३ उट्टित्ता [ उद्वर्त्य ] जी० ११५४ उट्टिय [ उद्वृत्त ] जी० ३।११८, ११६,१२१ उवलण [ उद्बलन ] ओ० ६३ उविग्ग [ उद्विग्न ] ओ० ४६. जी० ३।२१६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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