Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 427
________________ अलेस्स-अक्सेस अलेस्स [अलेश्य] जी० ६।१८५,१६२,१९६ अलोग [अलोक ] ओ० १६०२ अलोय [अलोक] ओ०७१ अलोह [अलोभ] ओ० १६८ अल्लई [आद्रको] जी० ३१२८१ अल्लकी [आद्रकी] रा० २८ अल्लोण [आलीन ] ओ० १६,६१ रा० ८०४. जी० ३१५६६ से ५१८,७६५,८४१ ।। अल्लीणया [आलीनता] ओ०११६ अवउडग दे० अवकोटक] रा० ७५४,७५६,५६४ अवंक [अवक्र] रा० ७६,१७३. जी० ३।२८५ अवंग [अपाङ्ग] रा० १३३. जी० ३।३०३ अवंगुयदुवार [दे० अपावृतद्वार] ओ० १६२. रा०६९८,७५२,७८६ अवक्कम [अप+क्रम् ] -अवक्कमति रा०१०. जी० ३१८७-अवक्कमति स०१८ अवक्कमित्ता अपक्रम्य ] रा०.१० जी० ३।४४५ अवक्खेवण [अवक्षेपण] ओ० १८० अवगय [अपगत] ओ० ६३ अवगाल [अवगाढ] रा० ७७४ अबक्षाणायरिय [अपध्यानाचरित] ओ० १३६ ।। अवट्टित [अवस्थित ] जी ० ३१५६.५६६ । अवद्विय [अवस्थित] ओ० १६. रा० २०० जी० ३१२७३, ३५०, ७६०, ८३८:११ अब [अपार्घ] जी० २१६५, ८८,१३२; ३१८३६, ६।२३,२६,३३,६६,७१,७३,७८, १४६, १६४, १६५, १७८, २०२, २०४ अवड्डोमोदरिय [अपार्धायमोदरिक, उपार्धा०] ओ० ३३ अवद्ध [अवनद्ध] रा० ७६०, ७६१ अवणी [अप-+नी] --- अवणेमो रा०७२६ अवणीत [अपनीत जी० ३८७८ अवणीयउवणीयचरय अपनीत उपनीतचरक] ओ० ३४ अवणीयचरय [अपनीतचरक] ओ० ३४ अवणेमाण [अपनयत् ] रा० ७३२ अवण्णकारग [अवर्णकारक] ओ० १५४ अवतासिज्जमाण [अपत्रस्यमान] रा०८०४ ‘अवकाल [अव-दलय --अवदालेइ ओ० १७० अवदालिय [अवदालित] ओ०१६ अवदालेत्ता [अवदल्य ] ओ० १७० अवधिणाणि ]अवधिज्ञानिन् ] जी० ३।१०४,११०७ अवमाण [अपमान ] रा० ८१६ अवमाणण [अपमानन] ओ०४६ अवयंसग [अवतरक } रा० १७३, ६८१ अवर अपर] रा० ४०, १३२, १६३, १६६ जी० ३१२६५, २८५, ३५८, ५६५ विरजा [अप्+ग -अवरज्झइ रा० ७६७ अवरह [अपराल रा०६८५ अवरत्त अपरात्र] रा० १७३ अवरविदेह [अपर विदेह जी० २१२६,५६,७०, ७२,८५,६६,११५,१२३,१३७, १३८, १४७, १४६ ; ३।४४५, ७६५ अवरविदेहक [अपर विदेहक | जी० २।१३२ अवरविदेहिया [अपर विदेहिका] जी० २१६५ अवराहि [अपराधिन् ] रा० ७५१ अवरुत्तर [अपरोत्तर] रा०४१,६५८. जी० ३।३३६,५५८,६३५,६५७,६८० अवलंबण [अवलम्बन] रा० १६, १७५. जी० ३२८७, ८६० अवलंबणबाहा अवलम्बनबाहु] रा० १६,१७५. जी० ३१२८७ अवलद्ध [अपलब्ध] ओ० १५४,१६५,१६६. रा० ८१६ अवलि अवलि] रा० २६ जी० ३१२८२ अवलिया [अवलिका रा० २५ जी० ३।२७८ अवव [अवव ] जी० ३१८४१ अवसाण [अवसान ] ओ० ६३ अवसेस [ अवशेष ओ० ७२, ७६, १६७ रा० ४८, ५७, १६४ जी० ११५६, ६७, ३.२५०, ३४५, ३५६, ६३०, ६६४, ६६५, १०२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org


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