Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

Previous | Next

Page 14
________________ श्रीवीतरागाय नमः ॥ जैनाचार्य - जैनधर्म दिवाकर - पूज्यश्री - घासीलालजी - महाराज - विरचितविपाक चन्द्रिका टीका समलङ्कृतम् श्री विपाकसूत्रम् परमगुणगभीरं तीर्णसंसारतीरं haliha [ मङ्गलाचरणम् ] मालिनीवृत्तम् वृजिनघनसमीरं कोपवह्नेः सुनीरम् । क्षपितमिह शरीरं कार्मणं यत् करीरं, શ્રી વિપાક સૂત્ર भविजनवरहीरं नौमि तं धीरवीरम् ॥ १ ॥ [ वसन्ततिलकावृत्तम् ] आनन्तराऽऽगमसुधारसनिर्झरेण. संसिच्य धर्मतरुमत्र शुभालवालम् । स्वर्गापवर्गसुखराशिफलं प्रदाय, मोक्षं गतं तमिह गौतममानमामि ॥ २ ॥ [ द्रुतविलम्बितवृत्तम् ] कमल कोमलमञ्जपदद्विकं विमलबोधिदबोधविबोधकम् । मुखलसत्सहदोरकवस्त्रिकं, गुरुवरं प्रणमामि विशोधकम् || २ || , (अनुष्टुब्वृत्तम् ) विपाकश्रुतसूत्रस्य, भावार्थानां प्रकाशिका | विपाकचन्द्रिका टीका, घासीलालेन तन्यते ॥ ४ ॥ ૧

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 279