Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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(४५) गहचरियं-ग्रहों की गति जानने की कला (४६) सोभागकरं-सौभाग्य का ज्ञान (४७) दोभागकरं-दुर्भाग्य का ज्ञान (४८) विजागयं-रोहिणी, प्रज्ञप्ति आदि विद्या सम्बन्धी ज्ञान (४९) मंतगयं-मन्त्र साधना आदि का ज्ञान (५०) रहस्सगयं-गुप्त वस्तु को जानने की कला (५१) सभासं-प्रत्येक वस्तु के वृत्त का ज्ञान (५२) चारं-सैन्य का प्रमाण आदि जानना (५३) पडिचारं-सेना को रणक्षेत्र में उतारने की कला (५४) हं-व्यूह रचने की कला (५५) पडिवूह-प्रतिव्यूह रचने की कला (५६) खंधावारमाणं-सेना के पडाव का प्रमाण जानना (५७) नगरमाणं-नगर का प्रमाण जानने की कला (५८) वत्थुमाणं-वस्तु का प्रमाण जानने की कला (५९) खंधावारनिवेसं-सेना का पडाव आदि डालने का परिज्ञान (६०) वत्थुनिवेसं-प्रत्येक वस्तु के स्थापन करने की कला (६१) नगरनिवेसं-नगर निर्माण का ज्ञान (६२) ईसत्थं-ईषत् को महत् करने की कला (६३) छरुप्पवायं-तलवार आदि की मूठ बनाने की कला (६४) आससिक्खं-अश्वशिक्षा (६५) हरिथसिक्खं-हस्तिशिक्षा (६६) धणुव्वेयं-धनुर्वेद (६७) हिरण्यपागं, सुवण्णपागं, मणिपागं, धातुपागं-हिरण्यपाक, सुवर्णपाक, मणिपाक, धातुपाक बनाने
की कला (६८) बाहुजुद्धं, दंडजुद्धं, मुट्ठिजुद्धं, अट्ठिजुद्धं, जुद्धं, निजुद्धं, जुद्धाइजुद्धं-बाहुयुद्ध, दण्डयुद्ध, मुष्टियुद्ध,
यष्टियुद्ध, युद्ध, नियुद्ध, युद्धातियुद्ध करने की कला (६९) सुत्ताखेडं, नालियाखेडं, वट्टखेडं, धम्मखेडं, चम्मखेडं-सूत बनाने की कला, नली बनाने की,
गेंद खेलने की, वस्तु के स्वभाव जानने की, चमड़ा बनाने आदि की कला (७०) पत्रच्छेज्जं-कडगच्छेज्जं-पत्रछेदन वृक्षांग विशेष छेदने की कला (७१) सजीवं, निजीवं-सजीवन. निर्जीवन-संजीवनी विद्या (७२) सउणरुयं-पक्षी के शब्द से शुभाशुभ जानने की कला।
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