Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 14
________________ ४०६-४०८ ८२ छत्तीस वे समवाय में उत्तराध्ययन के अध्ययन आदि के नाम का निरूपण ४०३-४०४ ८३ सेंतीस वे समवाय में सत्तरहवे तीर्थकर कुंथुनाथ भगवान के गण और गणधर आदि का निरूपण ४०५-४०६ ८४ अडतीस वे समवाय मे पार्श्वनाथ अर्हत के गण और गणधर आदि का निरूपण ८५ उनचालीस वे समवाय में अवधिज्ञानियों की संख्या आदि का निरूपण ४०८-४१० ८६ चालीस वे समवाय में अरिष्टनेमि अर्हत के साध्वि आदि का निरूपणम् ४११-४१२ ८७ इगतालीस वे समवाय में नमिनाथ अर्हत के साचिकायें आदिका निरूपण ४१२-४१३ ८८ बयालीसवे समवाय में श्रमण भगवान् महावीर के श्रामण्य पर्यायादिका निरूपण ४१३-४२३ ८९ तेंतालीस वे समवाय में कर्मविपाकके अध्ययनादि का निरूपण ४२३-४२५ ९० चौवालीस वे समवाय में ऋषिभाषित अध्ययनका निरूपण ४२५-४२६ ९१ पैतालीसवे समवाय में समय क्षेत्रादिका निरूपण ४२७-४२९ ९२ छियालीस वे समवाय में दष्टिवाद के स्वरूपका निरूपण ४२९-४३० ९३ सेंतालीस वे समवाय में प्रवचन मातृका के अक्षरादि का निरूपण ४३१-४३२ ९४ अडतालीस वे समवाय में चक्रवर्ती के नगरादि का निरूपण ४३३-४३४ ९५ उनचास वे समवाय में भिक्षुप्रतिमा आदिका निरूपण ४३४-४३६ ९६ पचासवे समवाय में वीसवे मुनिसुव्रत नाथ के साध्वि आदिका निरूपण ४३६-४३९ ९७ इक्यावन वे समवाय का निरूपण ४३९-४४१ ९८ बावनवे समवाय में मोहनीयकर्म के बावन नामादिका निरूपण ४४२-४४६ ९९ तिरपनवे समवाय में देवकुरु उत्तरकुरुक्षेत्र के जीवा आदिका निरूपण ४४६-४४९ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર

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