Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ ५४ इक्कीस वे समवाय में नारकियों के स्थित्यादिका निरुपण २६२-२६४ ५५ बाईस वे समवायमें बाईस परीषहादिका निरूपण २६४-२७४ ५६ बाईस वे समवायमें नारकियों केस्थित्यादिका निरूपण २७५-२७७ ५७ तेईस वे समवाय में सूत्रकृताङ्ग के अध्ययनादिका निरूपण २७८-२८० ५८ तेईसवे समवाय में नारकियों के स्थित्यादि का निरूपण २८०-२८१ ५९ चोव्वीसवे समवाय में चोईस तीर्थङ्करों का निरूपण २८२-२८५ ६० चौव्वीसवे समवाय में नारकियों के स्थित्यादिका निरूपण २८५-२८७ ६१ पच्चीसवे समवाय में पांच महाव्रत की पचीस भावना ____ आदि का निरूपण २८७-२९९ ६२ पच्चीसवे समवाय में नारकियों के स्थित्यादि का निरूपण ३००-३०१ ६३ छन्वीस वे समवायमें दशाश्रुतादि के अध्ययनादिका निरूपण ३०२-३०४ ६४ सत्ताईस वे समवायमें अनगार के गुणों आदिका निरूपण ३०५-३१२ ६५ सत्ताईस वे समवाय में नारकियों के स्थित्यादिका निरूपण ३१३-३१४ ६६ अट्ठाईसवे समवाय में आचारकल्पादिका निरूपण ३१५-३२६ ६७ अट्ठाईसवे समवाय में नैरयिकों की स्थितिका निरूपण ३२७-३२८ ६८ उन्तीसवे समवाय में पापश्रुतका निरूपण ३२९-३३३ ६९ उन्तीसवे समवाय में नारकियोंके स्थित्यादिका निरूपण ३३४-३३६ ७० तीसवे समवाय में मोहनीय स्थान का निरूपण ३३७-३५२ ७१ तीसवे समवाय में तीस मुहूर्त के नाम का निरूपण ३५३-३५६ ७२ इकतीस वे समवाय में सिद्धादिकों के गुणों का निरूपण ३५७-३६२ ७३ इकतीसवे समवाय में नारकियों के स्थित्यादि का निरूपण ३६३-३६५ ७४ बत्तीसवे समवाय में योग संग्रहादिका निरूपण ३६५-३७१ ७५ बत्तीसवे समवायमें नैरयिकों की स्थितिका निरूपण ३७१-३७३ ७६ तेंतीस वे समवाय में तेत्तीस आशातना दोषका निरूपण ३७३-३८२ ७७ तेंतीस वे समवाय में सूर्यमंडलका निरूपण ३८३-३०७ ७८ तेतीस वे समवाय में नारकियों की स्थिति का निरूपण ३८७-३८९ ७९ चौतीस वे समवाय में तीर्थकरों के अतिशय का निरूपण ३८९-३९८ ८० चौतीस वे समवाय में चक्रवर्त्यादि का निरूपण ३९९-४०० ८१ पैंतीस वे समवायमें सत्यवचन के अतिशय का निरूपण ४०१-४०२ શ્રી સમવાયાંગ સૂત્ર

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